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बुधवार, 17 मार्च 2021
दोहे "मत करना तकरार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मर्यादा मत लाँघना, रखो मधुर व्यवहार।
जवाब देंहटाएंहोली के त्यौहार में, करना तनिक विचार।।
सुन्दर शिक्षा देते दोहे...
भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार।
जवाब देंहटाएंदेता है सन्देश यह, होली का त्यौहार।
अति सुन्दर ।
मर्यादा मत लाँघना, रखो मधुर व्यवहार।
जवाब देंहटाएंहोली के त्यौहार में, करना तनिक विचार।।
इस संदेशात्मक दोहे के साथ ही सभी दोहे बेहतरीन हैं।
साधुवाद आदरणीय 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
सुंदर सीख देते दोहे।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना समाज सापेक्ष पर्यावरण चेतना संपन्न ,अक्सर शास्त्री जी की रचनाएं एक सशक्त सन्देश देतीं हैं। होली पूर्व फागुन के रंगों का असल मायना समझाती है यह दोहावली। शास्त्री जी अक्सर टिपण्णी करने यहां वहां सब जगह पहुँच जाते हैं। तू मेरे ब्लॉग पे आ टिप्पणी कर मैं तेरे ब्लॉग पे आवूंगा इस नियम का अतिक्रमण करते हैं शास्त्री जी निस्पृह निष्काम भाव अन्यत्र ब्लॉग पर टिप्पणी करते हैं। हम अक्सर ऐसा नहीं कर पाते। शास्त्री जी सभी चिठ्ठाकारों को प्रेरित करते हैं।
जवाब देंहटाएंजो लगवाये खुशी से, उसे लगाना रंग।
करके ओछी हरकतें, कभी न करना तंग।।
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कीचड़ कालिख-पेंट से, नहीं खेलना फाग।
उज्जवल-धवल चरित्र पर, नहीं लगाना दाग।।
सशक्त सन्देश देतीं हैं सुंदर रचना सर,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंआपकी हर रचना से कुछ न कुछ सीख मिलती है,सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएं