करते-करते भजन, स्वार्थ छलने लगे। करते-करते यजन, हाथ जलने लगे।। झूमती घाटियों में, हवा बे-रहम, घूमती वादियों में, हया बे-शरम, शीत में है तपन, हिम पिघलने लगे। करते-करते यजन, हाथ जलने लगे।। उम्र भर जख्म पर जख्म खाते रहे, फूल गुलशन में हरदम खिलाते रहे, गुल ने ओढ़ी चुभन, घाव पलने लगे। करते-करते यजन, हाथ जलने लगे।। हो रहा हर जगह, धन से धन का मिलन, रो रहा हर जगह, भाई-चारा अमन, नाम है आचमन, जाम ढलने लगे। करते-करते यजन, हाथ जलने लगे।। |
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मंगलवार, 31 अगस्त 2021
गीत "नाम है आचमन, जाम ढलने लगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रविवार, 29 अगस्त 2021
दोहे "फिर से लो अवतार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- बीत गया
सावन सखे, आया भादौ मास। श्री कृष्ण
जन्माष्टमी, है बिल्कुल अब पास।। -- श्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार। हे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।। -- राजनीति में हो गये, सारे कौवे हंस। बाहर से गोपाल हैं, भीतर से हैं कंस।। -- दोपायो से आज
हैं, चौपाये भयभीत। कैसे फिर
मिल पायगा, दूध-दही नवनीत।। -- जब आयेंगे
देश में, कृष्णचन्द्र गोपाल। आशा है
गोवंश का, तब सुधरेगा हाल।। -- जल थल में
क्रीड़ा करें, बालक जब नन्दलाल। नाचेंगी तब
गोपियाँ, ग्वाले देंगे ताल।। -- भारत के वर्चस्व का, जिससे हो आभास। लगता वो ही ग्रन्थ तो, सबको सबसे खास।। -- फल की
इच्छा मत करो, कर्म करो निष्काम। कण्टक
वृक्ष खजूर पर, कभी न लगते आम।। -- वेद-पुराण-कुरान का, गीता में है सार। भगवतगीता पाठ से, होते दूर विकार। दो माताओं का मिले, जिसको प्यार दुलार। वो ही करता जगत में, दुष्टों का संहार।। -- |
शनिवार, 28 अगस्त 2021
दोहे "नहीं किसी का जोर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सत्ता-सिंहासन गये, है इतिहास गवाह। -- चाहे कितने चाटिये, ताकत के अवलेह। अमर नहीं रहती कभी, पंच तत्व की देह।। -- जब तक
प्राण शरीर में, सभी मनाते खैर। धड़कन
जब थम जाय तो, हो जाते सब गैर।। -- विधि
के अटल विधान पर, नहीं किसी का जोर। पूजन
वन्दन साधना, करते भाव विभोर।। -- रहने
काबिल जीव के, जब तक रहे शरीर। तब तक जीवन-नाव की, खुली रहे जंजीर।। -- किसकी
कितनी है उमर, नहीं किसी को
ज्ञान। चित्रगुप्त
के गणित से, सब ही हैं अनजान।। -- कहीं
शोक की धुन बजे, कहीं मांगलिक गीत। पड़ती
सबको झेलनी, गरमी-बारिश-शीत।। -- जीवन
के संग्राम में, होना नहीं निराश। मंजिल
पाने के लिए, करना राह तलाश।। -- बहते निर्झर ही
करें, कल-कल शब्द निनाद। कर्मों से ही
व्यक्ति को, रक्खा जाता याद।। -- |
गुरुवार, 26 अगस्त 2021
गीत "पाक से करना युद्ध जरूरी है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दुशमन को अब सबक सिखाना, भारत की मजबूरी है अपने हक के लिए पाक से, करना युद्ध जरूरी है -- दशकों से हमने झेला, आतंकी कुटिल-कुचालो को पूर्णविराम लगा देंगे अब, उठते हुए सवालो को मखबूजा कश्मीर बिना, आजादी बहुत अधूरी है अपने हक के लिए पाक से, करना युद्ध जरूरी है -- हमें तिरंगा पीओके में, जा करके फहराना है अपने हिस्से को फिर से, अपना भूभाग बनाना है मुजफ्फऱाबाद से बाकी, केवल चार कदम की दूरी है अपने हक के लिए पाक से, करना युद्ध जरूरी है -- देखेगा होकर भौचक्का, जगत शौर्य भारत बल का आने वाला है अवसर, जब खेल खतम होगा छल का पूर्ण स्वराज दिलाने की, अपनी तैयारी पूरी है अपने हक के लिए पाक से, करना युद्ध जरूरी है -- पापी पाकिस्तान कई टुकड़ों में, अब बँट जायेगा झेलम का पानी दुनिया को, अपना रंग दिखायेगा सेना को जल्दी ही, अब मिलने वाली मंजूरी है अपने हक के लिए पाक से, करना युद्ध जरूरी है -- |
मंगलवार, 24 अगस्त 2021
गीत "लगा रहे हैं पहरों को" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चौकीदारी मिली खेत की, अन्धे-गूँगे-बहरों को। चोटी पर बैठे मचान की, लगा रहे हैं पहरों को।। घात लगाकर मित्र-पड़ोसी, धरा हमारी लील रहे, पर बापू के मौन-मनस्वी, देते उनको ढील रहे, बोल न पाये, ना सुन पाये, ना पढ़ पाये चेहरों को।। चोटी पर बैठे मचान की, लगा रहे हैं पहरों को।। कैसे भरे तिजोरी अपनी, दिवस-रैन ये सोच रहे, अपने पैने नाखूनों से, सुमनो को सब नोच रहे, गाँवों को वीरान बनाकर, रौशन करते शहरों को। चोटी पर बैठे मचान की, लगा रहे हैं पहरों को।। चीर पर्वतों की छाती को, बहती चंचल धारा है, गहरी नदिया दूर किनारा, कोई नहीं सहारा है, चप्पू लेकर दूर खड़े ये, चले थामने लहरों को। चोटी पर बैठे मचान की, लगा रहे हैं पहरों को।। |
शनिवार, 21 अगस्त 2021
रक्षाबन्धन "भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ बहनों को मत भूलना, याद दिलाता पर्व। रक्षाबन्धन पर्व पर, भारत को है गर्व।। -- परम्परा मत समझना, राखी का त्यौहार। रक्षाबन्धन में निहित, होता पावन
प्यार।। -- राखी लेकर आ गयी, बहना
बाबुल-द्वार। भाई देते खुशी से, बहनों को उपहार।। -- रक्षाबन्धन पर्व का, दिन है सबसे खास। जिनके बहनें हैं नहीं, वो हैं आज उदास।। -- ममता की इस डोर में, उमड़ा रहा है
प्यार। भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के
तार।। -- अपनी बहनों से कभी, मत होना नाराज। भइया रक्षा-सूत्र की, रखना हरदम लाज।। -- कच्चे धागों में छिपी, ममता है मजबूत। जो भाई के हृदय को, कर देती अभिभूत।। -- जरी-सूत या जूट के, धागे हैं अनमोल। गौरव के इतिहास से, सज्जित है
भूगोल।। -- राखी के दिन देश में, उमड़ा
प्यार-अपार। रिश्ते-नातों की चहक, देख रहा संसार।। -- निश्छल पावन प्यार का, होता जहाँ निवेश। सबसे न्यारा जगत में, मेरा भारत देश।। -- |
शुक्रवार, 20 अगस्त 2021
दोहे "उग्रवाद-आतंक का, अड्डा पाकिस्तान" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-- अफगानों के साथ
में, ओछी थी खिलवाड़। रूस-अमेरीका रहे, अपना
पल्ला झाड़।। -- शासक अपने वतन
में, बन बैठे गद्दार। तालीबानों ने
किया, सत्ता पर अधिकार।। -- उग्रवाद-आतंक का,
अड्डा पाकिस्तान। दशकों से वो
पालता, घर में तालीबान।। -- बेईमानी का रहा,
जिनके नाम खिताब। ऐसे पाकिस्तान की,
हरकत रहीं खराब।। -- खून-खराबे का रहा,
अब तक का इतिहास। तालीबानों को कभी,
अमन न आता रास।। -- अपनी ओछी चाल पर,
पाक हुआ मदहोश। कालचक्र को देखकर,
भारत है खामोश।। -- पापी पाकिस्तान
क्यों, होता है मगरूर। पी.ओ.के. छिन
जायगा, नहीं समय अब दूर।। -- |
मंगलवार, 17 अगस्त 2021
गीत "माँ की ममता के सिवा, कुछ भी नहीं असली है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रात-दिन आज भी
आभास मुझे होता है, मेरी माँ मेरे सदा
आस-पास रहती है। मुसीबतों से कभी
हारना नहीं बेटा, माँ सदा मुझसे यही
कहती है।। जिन्दगी धूप-छाँव
बदली है, आज दुख और सुख भी नकली
है, माँ की ममता के
सिवा, कुछ भी नहीं असली
है, काल बदले भले ही
युग बदले, एक माँ है जो पीर सहती
है। मुसीबतों से कभी
हारना नहीं बेटा, माँ सदा मुझसे यही
कहती है।। -- सोच जिसकी भली सी
होती है, वो ही दुनिया में
सन्त होता है, थाह जिसकी नहीं
मिली अब तक, आसमाँ तो अनन्त
होता है, माँ की ममता की
धार धरती पर गंगा-यमुना की तरह
बहती है। मुसीबतों से कभी
हारना नहीं बेटा, माँ सदा मुझसे यही कहती है।। |
सोमवार, 16 अगस्त 2021
दोहे "अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
अटल बिहारी आपका, करते सब गुणगान। माता के इस लाल पर, भारत को अभिमान।। -- आज दिखावे के लिए, लगी हुई है भीड़। बिना अटल के लग रहा, सूना संसद नीड़।। -- कथनी-करनी में अटल, सदा रहे अनुरक्त। शब्दों से वाचाल थे, मन से रहे सशक्त।। -- अटल बिहारी हों भले, अन्तरिक्ष में लीन। पुनर्जन्म लेंगे यहाँ, सबको यही यकीन।। -- देशभक्ति-दलभक्ति के, संगम थे अभिराम। अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम।। -- आने-जाने के नहीं, नियत दिवस-तारीख। देता काल-कराल है, दुनिया भर को सीख।। |
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