-- बीत गया
सावन सखे, आया भादौ मास। श्री कृष्ण
जन्माष्टमी, है बिल्कुल अब पास।। -- श्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार। हे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।। -- राजनीति में हो गये, सारे कौवे हंस। बाहर से गोपाल हैं, भीतर से हैं कंस।। -- दोपायो से आज
हैं, चौपाये भयभीत। कैसे फिर
मिल पायगा, दूध-दही नवनीत।। -- जब आयेंगे
देश में, कृष्णचन्द्र गोपाल। आशा है
गोवंश का, तब सुधरेगा हाल।। -- जल थल में
क्रीड़ा करें, बालक जब नन्दलाल। नाचेंगी तब
गोपियाँ, ग्वाले देंगे ताल।। -- भारत के वर्चस्व का, जिससे हो आभास। लगता वो ही ग्रन्थ तो, सबको सबसे खास।। -- फल की
इच्छा मत करो, कर्म करो निष्काम। कण्टक
वृक्ष खजूर पर, कभी न लगते आम।। -- वेद-पुराण-कुरान का, गीता में है सार। भगवतगीता पाठ से, होते दूर विकार। दो माताओं का मिले, जिसको प्यार दुलार। वो ही करता जगत में, दुष्टों का संहार।। -- |
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रविवार, 29 अगस्त 2021
दोहे "फिर से लो अवतार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सभी के लिए ईश्वर से गुहार करती सार्थक रचना।बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३०-०८-२०२१) को
'जन्मे कन्हैया'(चर्चा अंक- ४१७२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर रचना। सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंसबों की यही है आर्त्त पुकार कि कृष्ण लो अवतार । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंसामायिक दृश्य पर सटीक आह्वान करते दोहे।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव सृजन आदरणीय।
श्री कृष्ण यदि आज अवतार लेंगे तो उन्हें एक कंस नहीं, बल्कि कई कंसों का वध करना पड़ेगा.
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