-- रोज-रोज आता नहीं, प्यारा दिवस गुलाब। बाँटों महक गुलाब सी, सबको आज ज़नाब।१। -- शुरू हो रहा आज से, विश्व प्रणय सप्ताह। लेकिन मौसम कर रहा, सब अरमान तबाह।२। बारिश-कुहरे से घिरा, पूरा उत्तर देश। नहीं बना मधुमास में, बासन्ती परिवेश।३। नभ आँसू टपका रहा, सहमे रीति-रिवाज। बहुत विलम्बित हो रहा, ऐसे में ऋतुराज।४। लौट-लौट कर आ रहा, हाड़ कँपाता शीत। मौसम ने छेड़ा नहीं, मनभावन संगीत।५। प्रणय-निवेदन के लिए, मौसम है प्रतिकूल। उपवन में अब तक नहीं, खिले बसन्ती फूल।६। सरसों फूली ही नहीं, हरे-हरे सब खेत। सुमनों बिन सूने पड़े, अब भी हृदय-निकेत।७। प्रथम दिवस है रोज-डे, बाँट रहा मुस्कान। पी लेता है दर्द को, कभी न होता म्लान।८। प्रणय-प्रीत के प्रथम दिन, बाँट रहा मुस्कान। सह कर पीर गुलाब-गुल, कभी न होता म्लान।९। आता है मधुमास में, प्रणय-प्रीत सप्ताह। चाह अगर हो हृदय में, मिल जाती है राह।१०। काँटों में पलता हुआ, हँसता-खिलता रोज। बाँट रहा ऋतुराज में, सबको खुशी मनोज।११। ढोंग-दिखावा हैं सभी, पश्चिम के दिन-वार। रोज बदलते हैं जहाँ, सबके ही दिलदार।१२। पश्चिम की है सभ्यता, थोड़े दिन का प्यार। प्रणय-दिवस के बाद में, हो जाती तकरार।१३। प्रीत और मनुहार है, दुनिया का आधार। प्रतिदिन होना चाहिए, सच्चा-सच्चा प्यार।१४। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023
दोहे "प्यारा दिवस गुलाब" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९ ०२-२०२३) को 'एक कोना हमेशा बसंत होगा' (चर्चा-अंक -४६४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं