-- सुप्त भावों को जगाने, आ गया नव वर्ष फिर से। जश्न खुशियों का मनाने, आ गया नव वर्ष फिर से। -- प्रीत की पसरी खुमारी देश में, लग रहा है शीत भारी देश में, कामनाएँ उमड़ती फिर से पुरातन, भावनाएँ लग रही हैं आज नूतन, नवल भावों को जगाने, आ गया नव वर्ष फिर से।1। -- करीने से सब सँवरते आज तो, झूमकर सब नृत्य करते आज तो, देश में-परदेश में आनन्द है, सादगी परिवेश में अब मन्द है, पश्चिमी गंगा बहाने, आ गया नव वर्ष फिर से।2। -- जिधर देखो उधर भारी भीड़ है, कोसता महलों को नन्हा नीड़ है, मन्दिरों में लग रहीं लम्बी कतारे, जोर से बजने लगे घंटे-नगारे, कलुषता मन की मिटाने, आ गया नव वर्ष फिर से।3। -- पर्वतों पर हो रहा हिमपात है, सूर्य को देता कुहासा मात है, बँट रहा नववर्ष का उपहार है, सर्दियों में धूप से ही प्यार है, मित्रता का गीत गाने, आ गया नव वर्ष फिर से।4। -- ईस्वी सन् की यही असली कहानी, जश्न में नव वर्ष के डूबी जवानी, आज आँसू विक्रमी सम्वत बहाता, बन गया भिक्षुक सरीखा ज्ञान दाता, फिर दिखावों को दिखाने, आ गया नव वर्ष फिर से।5। -- |
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रविवार, 31 दिसंबर 2023
गीत "पश्चिमी गंगा बहाने, आ गया नव वर्ष फिर से" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुरुवार, 28 दिसंबर 2023
"आने वाला साल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- पड़ने वाले नये साल के हैं कदम! स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!! -- कोई खुशहाल है. कोई बेहाल है, अब तो मेहमान कुछ दिन का ये साल है, ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन! स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!! -- रौशनी देगा तब अंशुमाली धवल, ज़र्द चेहरों पे छायेगी लाली नवल, मुस्कुरायेंगे गुलशन में सारे सुमन! स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!! -- धन से मुट्ठी रहेंगी न खाली कभी, अब न फीकी रहेंगी दिवाली कभी. मस्तियाँ साथ लायेगा चंचल पवन! स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!! -- |
बुधवार, 27 दिसंबर 2023
गीत "सरदी से काँप रहा है तन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मंगलवार, 26 दिसंबर 2023
गीत "चमकेंगें कब सुख के तारे!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे! नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे! गधे चबाते हैं काजू, महँगाई खाते बेचारे!! काँपे माता काँपे बिटिया, भरपेट न जिनको भोजन है, क्या सरोकार उनको इससे, क्या नूतन और पुरातन है, सर्दी में फटे वसन फटे सारे! नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!! जो इठलाते हैं दौलत पर, वो खूब मनाते नया-साल, जो करते श्रम का शीलभंग,वो खूब कमाते द्रव्य-माल, वाणी में केवल हैं नारे! नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!! नव-वर्ष हमेशा आता है, सुख के निर्झर अब तक न बहे, सम्पदा न लेती अंगड़ाई, कितने दारुण दुख-दर्द सहे, मक्कारों के वारे-न्यारे! नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!! रोटी-रोजी के संकट में, बस गीत-प्रीत के भाते हैं, कहने को अपने सारे हैं, पर झूठे रिश्ते-नाते हैं, सब स्वप्न हो गये अंगारे! नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!! टूटा तन-मन भी टूटा है, अभिलाषाएँ ही जिन्दा हैं, कब जीवन में होंगी बहार, यह सोच रहा कारिन्दा हैं, चमकेंगें कब सुख के तारे! नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!! -- |
सोमवार, 25 दिसंबर 2023
दोहे "जन्मदिन-अटल बिहारी बाजपेई" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
माता के इस लाल पर, भारत को अभिमान।। -- आज दिखावे के लिए, लगी सदन में भीड़। अटल बिहारी के बिना, सूना संसद नीड़।। -- कथनी-करनी में अटल, सदा रहे अनुरक्त। शब्दों से वाचाल थे, मन से रहे सशक्त।। -- अटल बिहारी हों भले, अन्तरिक्ष में लीन। पुनर्जन्म लेंगे यहाँ, सबको यही यकीन।। -- देशभक्ति-दलभक्ति के, संगम थे अभिराम। अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम।। -- आने-जाने के नहीं, नियत दिवस-तारीख। देता काल-कराल है, दुनिया भर को सीख।। -- लुप्त हो गया सदन में, स्वस्थ हास-परिहास। संसद में अब काव्य का, मेला हुआ उदास।। -- देशवासियों के लिए, क्रिसमस का उपहार। अटल बिहारी के बिना, सूना लगता द्वार।। -- |
दोहे "खुश हो करके बाँटिए, लोगों को उपहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रोज-रोज आता नहीं, क्रिसमस का त्यौहार। खुश हो करके बाँटिए, लोगों को उपहार।। -- दया-धर्म का जगत में, जीवित रहे निवेश। यीसू सूली पर चढ़ा, देने यह सन्देश।। -- झंझावातों में रहा, जो जीवन परियन्त। माँ मरियम की कोख से, जन्मा था गुणवन्त।। -- सदा अभावों में पला, लेकिन रहा सपूत। सारा जग कहता उसे, परमपिता का दूत।। -- मान और अपमान से, जो भी हुआ विरक्त। दुनिया उसकी ओर ही, हो जाती अनुरक्त।। -- परमपिता के नाम की, महिमा बड़ी अपार। दीन-दुखी का ईश ही, करता बेड़ा पार।। -- जीवन में मंगल करें, सन्तों के उपदेश। सर्व धर्म समभाव का, बना रहे परिवेश।। -- |
शनिवार, 23 दिसंबर 2023
दोहे "मनमानी का दौर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- विदा
पुरातन को करो, करो नये से प्रीत। जो
आया वो जायगा, यही जगत की रीत।। -- सागर
में उठती लहर, साफ करे परिवेश। गंगा
की रा'नाइयाँ, देती है सन्देश।। -- सरिताओं
में आई क्यों, तालाबों सी पंक। किसने
दूषित कर दिया, भारत माँ का अंक।। -- मुखरित
पापाचार हैं, पुण्य हो गये मौन। धरती
से मिटने लगे, चीड़-साल सागौन।। -- अपना
भारत था कभी, दुनिया में शिरमौर। लेकिन
नूतन काल में, मनमानी का दौर।। -- हिंसा
और बलात् का, नगर-गाँव में राज। हुआ
नहीं है आज तक, इसका सही इलाज।। शोषित श्रमिक-किसान हैं, पोषित हैं गद्दार। काजू-मेवे
खा रहे, मठाधीश-मक्कार। |
शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023
दोहे "पर्वत पर हिम से जमे, झील सरोवर ताल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- मास
दिसम्बर जा रहा, बीत रहा है साल। पर्वत
पर हिम से जमे, झील सरोवर ताल।। -- त्यौहारों की धूम है, चहक रहे हैं लोग। ऊनी
कपड़े पहनकर, दूर कीजिए रोग।। -- बारह
मास रहे जहाँ, उत्सव का परिवेश। सारी
दुनिया से अलग, अपना भारत देश।। -- लोकतन्त्र
सिद्धान्त पर, टिका हमारा तन्त्र। सर्व
धर्म समभाव के, यहाँ गूँजते मन्त्र।। -- दीपों
की दीपावली, क्रिसमस हो या ईद। निर्मल
गंगा-नीर है, सबके लिए मुफीद।। -- परमपिता-परमेश
का, कण-कण में है वास। गुरद्वारों
में हो रही, सुबह-शाम अरदास।। -- सीता
है हर बालिका, हर बालक है राम। भारत
के परिवेश में, गुंजित है इलहाम।। -- |
मंगलवार, 5 दिसंबर 2023
"50वीं वैवाहिक वर्षगाँठ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- बस इतना उपहार चाहिए। हमको थोड़ा प्यार चाहिए।। -- रंग नहीं अब, रूप नहीं अब, पहले जैसी धूप नहीं अब, ममता का आधार चाहिए। हमको थोड़ा प्यार चाहिए।। -- साँसें लेकर आती आशा, चलता रहता खेल-तमाशा, सुर की मृदु झनकार चाहिए। हमको थोड़ा प्यार चाहिए।। -- वाद-विवाद भले फैले हों, अन्तस कभी नहीं मैले हों, आपस में मनुहार चाहिए। हमको थोड़ा प्यार चाहिए।। -- कुछ सुनना भी, कुछ कहना भी, बच्चों की बातें सहना भी, हरा-भरा परिवार चाहिए। हमको थोड़ा प्यार चाहिए।। -- साथी साथ निभाते रहना, उपवन को महकाते रहना, हँसी-खुशी संसार चाहिए। हमको थोड़ा प्यार चाहिए।। -- |
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