गुजर गया है अब तो यौवन। सुखद रहा वैवाहिक जीवन। -- सभी उमंगें हुई पुरानी, ठहर गये सागर रतनारे। आशाएँ सरसाती सरगम, राग सुनाते हैं जलधारे।। वृद्धावस्था में है बचपन। सुखद रहा वैवाहिक जीवन।। -- अनुभव के ही साथ सुमन में, समरसता ठहराव आ गया। वेगवान जीवन शैली में, थोड़ा सा बदलाव आ गया। हँसता-खिलता देख बगीचा, हुआ प्रफुल्लित है घर-आँगन। सुखद रहा वैवाहिक जीवन।। -- कहना-सुनना, लिखना-पढ़ना, दिनचर्या के साथी-संगी। फुलवारी के सारे बिरुए, इन्द्रधनुष जैसे बहुरंगी। देख-देख अनमोल खजाना, पुलकित हो जाता है तन-मन। सुखद रहा वैवाहिक जीवन।। -- पूरी हुईं कामनाएँ सब, आशा के अनुरूप गगन है। वृद्धावस्था के पड़ाव में, अच्छा लगता भव्य-भवन है। ईश यही अरदास आपसे, चलता रहे यही गठबन्धन। सुखद रहा वैवाहिक जीवन।। -- स्वर्ण-जयन्ती के अवसर पर सबका करता हूँ अभिन्दन, खुशियों की स्नेहिल बेला पर, चहक रहा अपना वन-चन्दन। अभ्यागत के आ जाने से, सदन हो गया मेरा पावन। सुखद रहा वैवाहिक जीवन।। -- |
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सोमवार, 4 दिसंबर 2023
पाँच दिसम्बर "वैवाहिक जीवन के 50 वर्ष" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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