-- जहाँ फेसबुक में लगभग 9 वर्ष और हिन्दी ब्लॉगिंग आयु 13 वर्ष से अधिक की हो गई है! वहीं आज अंग्रेजी ब्लॉगिंग की इससे दूनी-चौगुनी है! 1997 में अंग्रेजी ब्लॉगिंग शुरू हुई थी और हिंदी ब्लोगिंग की शुरुआत ०२ मार्च २००३ को हुई थी और हिंदी का पहला अधिकृत ब्लॉग होने का सौभाग्य प्राप्त है नौ दो ग्यारह को । वर्ष-२००३-२००४ हिंदी ब्लोगिंग का पूर्वार्द्ध काल है । इन दोनों वर्षों में हिंदी ब्लोगिंग का बहुत ज्यादा विकास नहीं हो पाया, यह क्रम कमोवेश वर्ष-२००७ तक चला । वर्ष-२००८ में हिंदी ब्लॉग निर्माण में अप्रत्याशित ढंग से वृद्धि हुई और वर्ष-२००९ आते- आते वृद्धि दर एक सम्मानजनक सोपान पर पहुँचने में सफल रही । हमें अंग्रेजी और दुनिया की अन्य भाषाओं के द्वारा की जा रही ब्लॉगिंग से अपनी तुलना नहीं करनी है बल्कि यह विचार करना है कि हम ब्लॉगिंग के द्वारा हिन्दी भाषा और साहित्य को किस प्रकार समृद्ध कर सकते हैं । यूँ तो इस समय अंग्रेजी के ब्लॉगों की संख्या करोड़ों में है और हिन्दी के ब्लॉग अभी 20 हजार का आँकडा भी पार नहीं कर पाये हैं। इसका कारण है कि आज दुनिया के हर कोने में अंग्रेजी लिखी व पढ़ी जाती है । लेकिन जापान देश ऐसा है जहाँ के लोग बहुतायत में अपनी जापानी भाषा में में ही ब्लॉगिंग करते हैं! वहीं हम भारतीय अपनी मानसिकता नही बदल पाये हैं। आज जो लोग हिन्दी ब्लॉगिंग कर रहे हैं उनमें से अधिकांश युवा वर्ग के हैं । जिन्हें ब्लॉगिंग की तकनीक का ज्ञान है। पुराने और धुरन्धर माने जाने वाले हिन्दी के मनीषी अभी ब्लॉगिंग में बहुत कम हैं क्योंकि उन्हें इसका तकनीकी ज्ञान नहीं के बराबर है। कुछ लोग तो हिन्दी ब्लॉगिंग केवल इसलिए कर रहे हैं कि उन्हें अपने चहेतों की टिप्पणियाँ- “बहुत बढ़िया”, “बहुत खूब”, “सुन्दर”, “बहुत अच्छी प्रस्तुति” आदि शब्दों से सुख मिलता है! लेकिन कुछ लोग वास्तव में साहित्य स्रजन कर रहे हैं। विडम्बना यह है कि ऐसे लोगों की पोस्टों पर पाठकों की आवाजाही बहुत कम है क्योंकि उनके पास न ही गुट है तथा न ही उन्हें गुटबन्दी की कला आती है! आज जहाँ वर्तमान पीढ़ी में पढ़ने-लिखने की प्रवृत्ति का निरन्तर ह्रास हो रहा है वहीं हिन्दी ब्लॉगिंग का सकारात्मक पहलू भी सामने आया है। इसके द्वारा साहित्य के प्रति लोगों में रुझान तो अवश्य बढ़ा है। कारण यह है कि मंहगाई के इस दौर में अच्छी-अच्छी पुस्तकें खरीदना हर एक के बस की बात नहीं रह गई है। जबकि इण्टरनेट पर साहित्य मुफ्त में सुलभ हो जाता है। बहुत से लोग तो नेट का प्रयोग केवल ब्लॉगिंग लिखने के लिए ही करते हैं । लेकिन मेरे विचार से इसका उपयोग लिखने के साथ-साथ पढ़ने के लिए भी होना चाहिए! तभी तो हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास ब्लॉगिंग के द्वारा सम्भव होगा! लेकिन इतना तो निश्चित है कि “हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में ब्लॉगिंग की भूमिका” को नकारा नहीं जा सकता है। जिस प्रकार कभी हिन्दी सिनेमा ने हिन्दी को प्रचारित और प्रसारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था लगभग वही कार्य हिन्दी ब्लॉगिग भी कर रही है! अन्तर केवल इतना है कि हिन्दी सिनेमा ने यहाँ आम बोलचाल की हिन्दी को दुनिया के कोने-कोने में पहुँचाया वहीं हिन्दी ब्लॉगिंग हिन्दी के उन्नत रूप को दुनियाभर में पहुँचाकर हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रही है! इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि जालजगत पर अनुवादक (ट्रांसलेटर) मौजूद है! जिसके कारण हिन्दी में लिखी पोस्टों को विश्व के लोग निरंतर पढ़ रहे हैं। ब्लॉगिंग में लिखने की और उसको प्रकाशित करने की स्वतन्त्रता है इससे आपका लिखा हुआ आपकी लेखन पुस्तिका तक ही सीमित नहीं रह जाता अपितु वह दुनिया के कोने-कोने तक तुरन्त पहुँच भी जाता है। लेकिन इसका नकारात्मक पहलू यह भी है कि बिना कम्प्यूटर और नेट के आपका स्रजन आम व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाता है। फिर भी देश ही नही विदेशों तक आपकी बात तो इससे पहुँच ही जाती है । यह सब ब्लॉगिंग के कारण ही सम्भव हुआ है। आप लिखिए और तुरन्त पोस्टिंग कीजिए। न प्रकाशकों के चक्कर लगाने की जरूरत और न ही मोटी रकम खर्च करके इसको छपवाने का भार। कुछ लोगों की धारणा है कि ब्लॉग पोस्ट की आयु मात्र 24 घण्टा या जब तक दूसरी पोस्ट न लगा दें तब तक ही होती है किन्तु मेरा मानना है कि यह धारणा बिल्कूल निर्मूल है। मैंने ट्रैफिक देख कर यह अनुमान लगाया है कि पुरानी पोस्ट को अभी भी पढ़ा जा रहा हैं। अर्थात आप जो लिख रहे हैं वह अनन्तकाल तक जीवित रहेगा। इसलिए अब ब्लॉगिंग का मर्म लोगों की समझ में आता जा रहा है और प्रतिदिन नये-नये हिन्दी चिट्ठे बनते जा रहे हैं जिससे हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास निरन्तर होता जा रहा है। कुछ हिन्दी चिट्ठे तो वाकई में साहित्यिक ही हैं। इस कड़ी में मैं “कविता कोश” का उल्लेख करना अपना कर्तव्य समझता हूँ। जिसमें हिन्दी के पुराने और नये रचना धर्मियों की रचनाओं का भारी-भरकम संग्रह मौजूद है। हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में ब्लॉगिंग की भूमिका ही नही बल्कि इसका महत्वपूर्ण योगदान भी है। क्योंकि हिन्दी की ब्लॉगिंग सिर्फ भारतवर्ष में ही नही की जा रही है अपितु विदेशों में बसे भारतीय भी हिन्दी ब्लॉगिंग में सतत योगदान कर रहे हैं। आज समीर लाल ‘समीर’, राम त्यागी, दीपक मशाल, स्वप्नमंजूषा शैल अदा, पूजा, डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, अल्पना वर्मा, पूर्णिमा वर्मन, ऊर्मि चक्रवर्ती, दिगम्बर नासवा, शिखा वार्ष्णेय, रानी विशाल, भारतीय नागरिक, पराया देश वाले राज भाटिया सरीखे अनेकों ब्लॉगर हिन्दी फेसबुक और ब्लॉग में ब्लॉगिंग करके “हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में अपना योगदान कर रहे हैं। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 12 अगस्त 2024
आलेख "हिन्दी ब्ल़ॉगिंग और फेसबुक" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।