-- कृष्ण पक्ष की अष्टमी, भादों का है मास। भारतमाता के लिए, दिन यह सबसे खास। -- गोप-गोपियाँ कृष्ण को, कब से रहे पुकार। जल्दी से आ जाइए, नन्द पिता के द्वार।। -- भारत में गो-वंश का, बहुत बुरा है हाल। गौवें तुम्हें पुकारतीं, आ जाओ गोपाल।। -- धर्म पराजित हो रहा, बढ़ता जाता पाप। जनता सारी है दुखी, बढ़ा जगत में ताप।। -- आहत वृक्ष कदम्ब का, तकता है आकाश। अपनी शीतल छाँव में, बंशी रहा तलाश।। -- बरसाने की गोपियाँ, कितनी है बेचैन। विरह-व्यथा में बरसते, उनके निशि-दिन नैन।। -- धरा और आकाश में, गूँज रहा है नाम। बृज की सूनी भूमि में, आ जाओ अब श्याम।। -- मनमोहन की हो रही, जग में जय-जयकार। मन्दिर में लगने लगी, फिर से आज कतार।। -- |
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रविवार, 25 अगस्त 2024
आठ दोहे "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी-आ जाओ घनश्याम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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