नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' -- मीत बेशक बनाओ बहुत से मगर, मित्रता में शराफत की आदत रहे। स्वार्थ आये नहीं रास्ते में कहीं, नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।। -- भारती का चमन आप सिंचित करो, भाव मौलिक भरो, शब्द
चुनकर धरो, काल को जीत लो अपने ऐमाल से, गीत में सुर की धारा सलामत रहे। नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।। -- आपकी बात से, ज्ञान
गंगा बहे, मन में उल्लास हो, गात चंगा
रहे, बन्दगी में दिखावा कभी मत करो, आशिकी में भी शुचिता सलामत रहे। नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।। -- मत घमण्डी बनो, बैर को
छोड़ दो, जिन्दगी सादगी की, तरफ मोड़
दो, ढाई आखर का है बस यही फलसफा, आदमीयत का ज़ज़्बा सलामत रहे।। नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।। -- दिलरुबा नेह का धर्म तो जान लो, आप अच्छा-बुरा कर्म तो जान लो, ‘रूप’ दरिया
नहीं एक तालाब है, साथ सूरत के सीरत सलामत रहे। नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।। -- |
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सोमवार, 16 दिसंबर 2024
प्रकाशन "साहित्यसुधा पाक्षिक पत्रिका में मेरा गीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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