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रविवार, 25 जनवरी 2009
हो गया क्यों देश ऐसा ? (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक")
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अच्छा लेख है ....आपका और आपके नए ब्लॉग का स्वागत है .....लिखते रहें ......
जवाब देंहटाएंअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
आपकी पोस्ट यहाँ भी है……नयी-पुरानी हलचल
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
बिलकुल सही बात कही है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सार्थक चिंतन .. अच्छी रचना जो देश के प्रति आपकी चिन्ता को व्यक्त कर रही है ..
जवाब देंहटाएंचाँदनी फिर क्यों ,
जवाब देंहटाएंअमावस लग रही है ?
desh ke prati chintan jhalak raha hai ..!!
बहुत भावपूर्ण रचना \
जवाब देंहटाएंआशा
आज के हालात का बहुत सुन्दर चित्रण किया है।….. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआज क्यों पागल,
जवाब देंहटाएंस्वदेशी हो गया है ?
रक्त क्यों अपना,
विदेशी हो गया है ?
पन्थ है कितना घिनौना,
बहुत बढ़िया रचना है कल्पनाएँ मर.... सब , भावनाएं डर गईं ,स्वप्न सब बिखर गए ,रास्ते में लुट गए हम है कलेजा किसका नम ?.
जवाब देंहटाएंदिनांक 27/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
'हो गया क्यों देश ऐसा' .........हलचल का रविवारीय विशेषांक.....रचनाकार....रूप चंद्र शास्त्री 'मयंक' जी
आज की परिस्थिति का सुन्दर चित्रण .-उम्दाद प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंNew postमेरे विचार मेरी अनुभूति: तुम ही हो दामिनी।
बहुत भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएं