-- उच्चारण सुधरा नहीं, बना नहीं परिवेश। अँगरेजी के जाल में, जकड़ा सारा देश।१। -- अपना भारतवर्ष है, गाँधी जी का देश। सत्य-अहिंसा के यहाँ, मिलते हैं सन्देश।२। -- लड़की लड़का सी दिखें, लड़के रखते केश। पौरुष पुरुषों में नहीं, दूषित है परिवेश।३। -- भौतिकता की बाढ़ में, घिरा हुआ है देश। फैशन की आँधी चली, बिगड़ गया है वेश।४। -- हरकत से नापाक की, बिगड़ रहा परिवेश। सीमा पर घुसपैठ को, झेल रहा है देश।५। -- नहीं बड़ा है देश से, भाषा-धर्म-प्रदेश। भेद-भाव की भावना, पैदा करती क्लेश।६। -- प्यार और सदभाव के, थोथे हैं सन्देश। दाँव-पेंच के खेल में, चौपट हैं परिवेश।७। -- खुद जलकर जो कर रहा, आलोकित परिवेश। नन्हा दीपक दे रहा, जीवन का सन्देश।८। सूफी-सन्तों ने दिया, दुनिया को उपदेश। अपने प्यारे देश का, निर्मल हो परिवेश।९। -- रखना होगा अमन का, भारत में परिवेश। मत-मजहब से है बड़ा, अपना प्यारा देश।१०। -- |
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बुधवार, 29 दिसंबर 2021
दोहे "सीमा पर घुसपैठ को, झेल रहा है देश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(३०-१२ -२०२१) को
'मंज़िल दर मंज़िल'( चर्चा अंक-४२९४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
लड़की लड़का सी दिखें, लड़के रखते केश।
जवाब देंहटाएंपौरुष पुरुषों में नहीं, दूषित है परिवेश।
वाह!!!
बहुत सटी एवं लाजवाब दोहे।
सुंदर सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंसंस्कारों और देश प्रेम से ओत-प्रोत।
बहुत बहुत सुन्दर अत्यंत सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएं