खिलते फूल जहाँ पर सुन्दर, धरती गाती गान। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान, ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।। सबके अपने पर्व अनोखे, अलग-अलग त्यौहार, ईद-दिवाली में आपस में, सब
देते उपहार, हिन्दू व्रत करते हैं, मुस्लिम रखते हैं रमजान। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान, ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।। सर्वधर्म समभाव यहाँ पर, जीवित भाई-चारा, सबसे अच्छा सबसे न्यारा, लोकतन्त्र है प्यारा, सारे धर्मों वाले करते, भारत पर अभिमान। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान, ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।। भाषा-बोली अलग-अलग है, अलग- अलग पहनावा, छुआछूत को लोकतन्त्र में, मिलता नहीं बढ़ावा, सबसे अच्छा सबसे सुन्दर, भारत का परिधान। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान, ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।। उन्नत-खेती, जंगल-कानन, उपवन प्यारे-प्यारे, कल-कल करती गंगा बहती, सागर हैं रतनारे, खेतों में उपजाकर फसलें, खुश हो रहे किसान। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान, ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।। प्यारी पावन वसुन्धरा , भारत-माता कहलाती, वैदिक गणित और गणनाएँ, भारत की हैं थाती, भारत ने सारी दुनिया को, दिया शून्य का ज्ञान। ऐसा मेरा हिन्दुस्तान, ऐसा मेरा हिन्दुस्तान।। |
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गुरुवार, 31 मार्च 2022
गीत "धरती गाती गान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्यारी पावन वसुन्धरा , भारत-माता कहलाती,
जवाब देंहटाएंवैदिक गणित और गणनाएँ, भारत की हैं थाती,
भारत ने सारी दुनिया को, दिया शून्य का ज्ञान।
…देशभक्ति से ओतप्रोत सुंदर रचना ।
वाह! मेरे प्यारे देश का महिमा-गान... बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएं