भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार।। -- पढ़ने-लिखने का सदा, मन में रहा जुनून। भारत को तुमने दिया, उपयोगी कानून।। -- निर्धनता को देखकर, कभी न मानी हार। जीवनभर करते रहे, दलितों का उद्धार।। -- करते माया के लिए, राजनीति का काम। तुमको करते कापुरुष, दुनिया में बदनाम।। -- न्यायालय में न्याय हो, सबके लिए समान। भेद-भाव जिसमें नहीं, ऐसा रचा विधान।। -- भीमराव के नाम से, खुद का किया विकास। जातिवाद में बँट गये, वाल्मीकि-रैदास।। -- |
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बुधवार, 13 अप्रैल 2022
दोहे "भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4400 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
बहुत सुंदर,सार्थक दोहे ।
जवाब देंहटाएंन्यायालय में न्याय हो, सबके लिए समान।
जवाब देंहटाएंभेद-भाव जिसमें नहीं, ऐसा रचा विधान।।
भारत के इस महान रत्न को शत शत नमन, सुंदर प्रस्तुति!
सार्थक दोहे नमन लेखनी को
जवाब देंहटाएं