चमन अपना सजाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती। प्यार के गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।। -- नज़ारों में भरा ग़म है, बहारों में नहीं दम है,फिजाएँ भी बहुत नम हैं, सितारों में भरा तम है हसीं दुनिया बनाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती। प्यार के गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।। -- नहीं आभास रिश्तों का, नहीं एहसास नातों का किसी को आदमी की है, नहीं विश्वास बातों का बसेरे को बसाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती। प्यार के गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।। -- लुभाती गाँव की गोरी, सिसकता प्यार भगिनी का सुहाती अब नहीं लोरी, मिटा उपकार जननी का सरल उपहार पाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती। प्यार के गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।। -- नहीं गुणवान बनने की, ललक धनवान बनने की बुजुर्गों की हिदायत को, जरूरत क्या समझने की वतन में अमन लाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती। प्यार के गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।। -- भटककर जी रही दुनिया, सिमटकर जी रही दुनिया सभी को चाहियें बेटे, सिसककर जी रही मुनिया चहक ग़ुलशन में लाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती। प्यार के गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।। -- |
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रविवार, 10 जुलाई 2022
गीत "हमें फुरसत नहीं मिलती" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(११-०७ -२०२२ ) को 'ख़ुशक़िस्मत औरतें'(चर्चा अंक -४४८७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत सुंदर सृजन आदरणीय।
जवाब देंहटाएंउम्दा सृजन आदरणीय ।
जवाब देंहटाएं