-- होने को अब जा रहा, जीवन का अवसान। कलुषित मन की कामना, बन्द करो श्रीमान।। -- बढ़ती ज्यों-ज्यों है उमर, त्यों-त्यों बढ़ती प्यास। कामी भँवरे की नहीं, पूरी होती आस।। -- लिखिए मत साहित्य में, कुण्ठा भरे विचार। अच्छे लेख-विचार को, सब करते स्वीकार।। -- जितना मिला नसीब से, अधिक न माँगो मित्र। मीठे जल के कूप में, कभी न घोलो इत्र।। -- सबके भरा दिमाग में, शब्दों का है कोश। लोगों अपने ज्ञान पर, मत होना मदहोश।। -- लिखकर सत्-साहित्य को, सफल करो यह लोक। आधारित प्रारब्ध पर, रहते हैं डरपोक।। -- थोड़ा सा जीवन बचा, करलो अच्छे काम। मर जाने के बाद भी, अमर रहेगा नाम।। -- |
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शनिवार, 5 नवंबर 2022
दोहे "करलो अच्छे काम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6-11-22} को "करलो अच्छे काम"(चर्चा अंक-4604) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
अच्छे दोहे
जवाब देंहटाएंथोड़ा सा जीवन बचा कर लो अच्छे काम ❗️
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना!--ब्रजेन्द्र नाथ
कृपया मेरे ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर "पिता" पर लिखी मेरी कविता और मेरी अन्य रचनाएँ भी अवश्य पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराएं.
पिता पर लिखी इस कविता को मैंने यूट्यूब चैनल पर अपनी आवाज दी है. उसका लिंक मैंने अपने ब्लॉग में दिया है. उसे सुनकर मेरा मार्गदर्शन करें. सादर आभार ❗️ --ब्रजेन्द्र नाथ
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धक रचना
जवाब देंहटाएं