-- नही कार-बँगला, न धन
चाहता हूँ। उगे सुख का सूरज, धरा
जगमगाये, बजे शंख-घण्टे, नमाजें
अदा हों, कलम के पुजारी, कहीं सो
न जाना, -- |
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शुक्रवार, 10 मार्च 2023
सरस्वती वन्दना "अडिगता-सजगता का प्रण चाहता हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह वाह
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जवाब देंहटाएं