नेकी और खुलूस है, मौला का फरमान। मौमिन को सन्देश ये, देते हैं रमजान।। -- पाँचों वक्त नमाज पढ़, कहता पाक कुरान। बुरा किसी का सोच मत, सिखलाते रमजान।। -- नाम इबादत के अलग, देश-काल अनुरूप। लेकिन मक़सद एक है, अलग भले हों “रूप”।। -- जर्रे-जर्रे में बसा, राम और रहमान। सिखलाते इंसानियत, पूजा और अजान।। -- मर्म बताते धर्म का, गीता और कुरान। सारे प्राणी धरा के, ईश्वर की सन्तान।। -- खुद जिसके आदेश पर, चलता सकल जहान। बन्धन में रहता नहीं, खुदा और भगवान।। -- सारी पोथी धर्म की, करती हैं ताक़ीद। जिसके मन में प्यार है, उसके सभी मुरीद।। -- मज़हब चाहे कोई हो, करना सबका मान। भाईचारे से बने, अपना देश महान।। -- |
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शुक्रवार, 24 मार्च 2023
दोहे "सिखलाते रमजान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर संदेश
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