-- कुलदीपक के है लिए, पर्व अहोई खास। होती है सन्तान पर, माताओं को आस।1। -- माताएँ इस दिवस पर, करती हैं अरदास। उनके सुत का हो नहीं, मुखड़ा कभी उदास।2। -- सन्तानों के लिए है, यह अद्भुत त्यौहार। बेटा-बेटी में करो, समता का ब्यौहार।3। -- शिशुओं की किलकारियाँ, गूँजें सबके द्वार। मिलता बड़े नसीब से, मात-पिता का प्यार।4। -- घर के बड़े-बुजुर्ग है, जीवन में अनमोल। मात-पिता के प्यार को, दौलत से मत तोल।5। -- चाहे कोई वार हो, कोई हो तारीख। संस्कार देते हमें, कदम-कदम पर सीख।6। -- जीवन में उल्लास को, भर देते हैं पर्व। त्यौहारों की रीत पर, हमको होता गर्व।7। -- माता जी सिखला रही, बहुओं को सब ढंग। होते हर त्यौहार के, अपने-अपने रंग।8। -- |

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