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बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
मुझे लेना नही आया। उन्हे देना नही भाया।। (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक)
हमेशा गुन-गुनाता था।
हृदय का शब्द होठों पर,
कभी बिल्कुल न आता था।
मुझे कहना नही आया।
उन्हें सुनना नही भाया।।
कभी जो भूलना चाहा,
जुबां पर उनकी ही रट थी।
अन्धेरी राह में उनकी,
चहल कदमी की आहट थी।
मुझे सपना नही आया।
उन्हें अपना नही भाया।।
बहुत से पत्र लाया था,
मगर मजमून कोरे थे।
शमा के भाग्य में आये,
फकत झोंकें-झकोरे थे।
मुझे लिखना नही आया।
उन्हें पढ़ना नही आया।।
बने हैं प्रीत के क्रेता,
जमाने भर के सौदागर।
मुहब्बत है नही सौदा,
सितम कैसे करूँ उन पर।
मुझे लेना नही आया।
उन्हे देना नही भाया।।
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बहुत सुंदर लिखा....
जवाब देंहटाएंमिलन के गीत मन ही मन,
जवाब देंहटाएंहमेशा गुन-गुनाता था।
हृदय का शब्द होठों पर,
कभी बिल्कुल न आता था।
yah sher hamen bahut pasand aaya , maine apni dairy men bhi likh li hai
बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी लाजवाब!
जवाब देंहटाएं---
गुलाबी कोंपलें
चाँद, बादल और शाम
मुझे लिखना नही आया।
जवाब देंहटाएंउन्हें पढ़ना नही आया।।
अपनी तरह की अनूठी रचना..
सादर..
वन्दन
जवाब देंहटाएंअद्धभुत लेखन
मुझे कहना नही आया।
जवाब देंहटाएंउन्हें सुनना नही भाया।।
बहुत खूब 👏👏
बहुत अच्छा लगा आपको फिर से सक्रिय देख। आशा है पूर्णतया स्वस्थ होंगे।
जवाब देंहटाएंसंगीता दी के परिश्रम स्वरूप आपकी पुरानी रचना को पढ़ने का सौभाग्य मिला,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंबहुत से पत्र लाया था,
जवाब देंहटाएंमगर मजमून कोरे थे।
शमा के भाग्य में आये,
फकत झोंकें-झकोरे थे।
मुझे लिखना नही आया।
उन्हें पढ़ना नही आया।।---वाह सर बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां हैं।
आज आदरणीया संगीता दी की वजह से ये खूबसूरत रचना हम तक पहुँच सकी। बहुत बहुत सुंदर कविता। सादर।
जवाब देंहटाएंबने हैं प्रीत के क्रेता,
जवाब देंहटाएंजमाने भर के सौदागर।
मुहब्बत है नही सौदा,
सितम कैसे करूँ उन पर।
मुझे लेना नही आया।
उन्हे देना नही भाया।।
आदरणीय सर बहुत बढ़िया भावपूर्ण सृजन| आपकी लेखनी का ये रंग बहुत अच्छा लगा | आपके ऊतम स्वास्थ्य की कामना करती हूँ | आशा है जल्द ही आप ब्लॉग पर लौटेंगे | प्रणाम और शुभकामनाएं|
मुझे लेना नही आया।
जवाब देंहटाएंउन्हे देना नही भाया।।
वाह!!!!
सचमुच आ.शास्त्री जी के इस अनूठे एवं उत्कृष्ट सृजन को पढवाने के लिए आ.संगीता जी का बहुत बहुत आभार....।
आ.शास्त्री जी आप शीघ्र स्वस्थ हों यही प्रार्थना है भगवान से।