मेरी हिन्दी है सबसे सरल औ' सुगम, सारे संसार में इसका सानी नहीं। जो लिखा है उसी को पढ़ो मित्रवर, बोलने में कहीं बेईमानी नहीं। BUT व PUT का नहीं भेद इसमें भरा, धाँधली की कहीं भी निशानी नहीं। व्याकरण में भरा पूर्ण विज्ञान है, जोड़ औ' तोड़ की कुछ कहानी नहीं। सन्धि नियमों में पूरी उतरती खरी, मातृभाषा हमारी बिरानी नहीं। मेरे भारत की भाषाएँ फूलें-फलें, हमको सन्तों की वाणी भुलानी नहीं। "रूप" इसका सँवारें सकल विश्व में, रुकने पाए हमारी रवानी नहीं। |
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सोमवार, 12 सितंबर 2022
गीतिका "हिन्दी है सबसे सरल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हिंदी की सरलता और सहजता को बखान करती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-9-22} को "हिन्दी है सबसे सरल"(चर्चा अंक 4551) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
गजब बात कही कि BUT व PUT का नहीं भेद इसमें भरा,
जवाब देंहटाएंधाँधली की कहीं भी निशानी नहीं।...एककदम सच
जी सही कहा आपने , हमारी हिन्दी में हर एक वर्ण और अक्षर का अपना अलग स्थान और प्रयोग है ।
जवाब देंहटाएं