-- खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। उष्ण मौसम का गिरा कुछ आज पारा, हो गयी सामान्य अब नदियों की धारा, नीर से आओ करें हम आचमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। रात लम्बी हो गयी अब हो गये छोटे दिवस, सूर्य की गर्मी घटी, मिटने लगी तन की उमस, बाँटती है सुख, हमें शीतल
पवन। अर्चना-पूजा की चहके दीप लेकर थालियाँ, धान के बिरुओं ने पहनी हैं सुहानी बालियाँ, अन्न की खुशबू से, महका है चमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। -- तितलियाँ उड़ने लगीं बदले हुए परिवेश में, भर गयीं फिर से उमंगे आज अपने देश में, शीत का होने लगा अब आगमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 27 सितंबर 2022
गीत "बाँटती है सुख, हमें शीतल पवन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
शरद ऋतु का सुंदर वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय डॉ. साहब आपके स्नेह भरे आशीर्वाद के लिए सादर नमन !
जवाब देंहटाएंसही कहा अब मौसम बदलेगा ऐसा लगता है और उष्णता अब ढूंढी तलाशी भी जाएगी , बहरहाल आपको "शारदीय नवरात्र " एवं शरद ऋतू के मधुर आगमन की बहुत बहुत शुभेच्छाएं !
खिलने लगे सुमन , अरु मन-कली इठला गयी ,
ऋतुओं की महारानी शरद लो चुपके से आ गयी ||
सादर नमन !
प्रकृति परिवर्तन को बड़े ही सुन्दर ढंग से शब्दों में बांधा है। सुंदर, सार्थक और सामयिक प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं सर।
जवाब देंहटाएंगर्मी के दिनों की तीव्र ऊष्णता के उपरान्त राहत की उम्मीद वर्षा की झिलमिल बूंदों से होती है, किन्तु कभी-कभी बादलों की भीषण गहमागहमी से अनवरत वर्षा की झड़ी जिस तरह से कहर बरपा कर देती है, वह गर्मी के दिनों की आपदा से कम त्रासदीदायक नहीं होती। ऐसी स्थिति में शरद ऋतु की आहट एक सुखद सन्देश देती है और शीतकाल अपना कोप दिखाए उससे पहले के कुछ दिनों के लिए मन को सुकून देती है। फिर प्रकृति के नियम से आबद्ध ऋतु- परिवर्तन के विभिन्न चरणों का फिर से स्वागत करना ही होता है। कभी सुखकारी तथा कभी कष्ट की स्थिति, यही तो प्रकृति की विडम्बना है। आपकी सुन्दर रचना ने मन मोह लिया।
जवाब देंहटाएं