
हास्य तथा व्यंगकार कवि गेंदालाल शर्मा ‘निर्जन’ की कलम से-
सम्पर्क- 05943-251449, मो0- 9997209139, खटीमा
(1)
कुर्सी की आड़ में, जनता की राड़ में,
खेले जो शिकार वही सच्चा खिलाड़ी है।
दिन में होय गूँगा, अरु टाँग एक टूटी होय,
रात में जो जुड़ जाये, सच्चा भिखारी है।
बिल्डिंग कई मंजिली, एक ईट दीवार होय,
घूँसा मार गिर जाये, जानो काम सरकारी है।
दिन में दवाई खायें, रात को मलाई खायें,
डाक्टर भी कहे, फैसनेबिल बीमारी है ।
(2)
दामाद-
जो किसी की न सुने, घूमे आवारा बन,
उसको इस युग में आजाद कहते है।
जो शादी से पहले, एडवांस ले बयाना,
उस भयानक जीव को दामाद कहते है।
प्रस्तुति-डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
Aad men shikar khelna achha nahin hai.
जवाब देंहटाएंनिर्जन जी!
जवाब देंहटाएंआप ने किसकी बिटिया को गोद लेकर पुनीत कार्य किया है?
आपका दामाद से कब पाला पड़ा है?
अच्छी रचना के लिए बधाई!
आपका संजय