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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक 3747)' पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
आदरणीय शास्त्री जी,दोहासंग्रह नागफनी के फूल के लिए बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी को बधाई. सुन्दर समीक्षा. बेहतरीन दोहे.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक समीक्षा
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी द्वारा रचित दोहों में सामाजिक चिंतन स्पष्ट दृष्टिगत होता है, जो उनकी समाज के प्रति गहरे जुड़ाव का कारण है। एक संवेदनशील व्यक्ति अपने आस पास और देश दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं, विषमताओं और विडंबनाओं को अनदेखा नहीं कर पाता,,,,
शास्त्री जी को अपनी बात दोहों के माध्यम से लिखने में महारत लिए हासिल है वे इस विधा के महारथी है
हार्दिक शुभकामनाएं इस दोहा संग्रह के प्रकाशन पर
बहुत सुंदर दोहे, सुंदर समीक्षा,दोहा संग्रह "नागफनी के फूल" के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय
जवाब देंहटाएंआदरणीय जयसिंह आशावत जी द्वारा बहुत सुन्दर समीक्षा । "नागफनी के फूल" दोहा संग्रह के लिए आपको बहुत बहुत बधाई सर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, हार्दिक बधाई एवं असीम शुभकामनाएँ!--ब्रजेन्द्रनाथ
जवाब देंहटाएंअनंत शुभकामनाएं आप की साहित्यिक यात्रा के लिए और ये इसी तरह जारी रहे
जवाब देंहटाएं