-- सज्जनता का ओढ़ लबादा, घूम रहे शैतान! संकट में है हिन्दुस्तान! संकट में है हिन्दुस्तान!! -- द्वारे-द्वारे देते दस्तक, टेक रहे हैं अपना मस्तक, याचक बनकर माँग रहे हैं, ये वोटों का दान! संकट में है हिन्दुस्तान! संकट में है हिन्दुस्तान!! -- कोई अपना हाथ दिखाता, कोई हाथी के गुण गाता, साइकिल कोई यहाँ चलाता, कोई घड़ी का समय बताता, लेकिन झाड़ू भय खाते, ये प्राचीन निशान! संकट में है हिन्दुस्तान! संकट में है हिन्दुस्तान!! -- जीवन भर गद्दारी करते, भोली जनता का मन हरते, मक्कारी से कभी न डरते, फर्जी गणनाओं को भरते, खर्च करोड़ों का करते हैं, गिरवीं रख ईमान। संकट में है हिन्दुस्तान! संकट में है हिन्दुस्तान!! -- सोच-समझकर बटन दबाना, झाँसे में बिल्कुल मत आना, घोटाले करने वालों को, कभी न कुर्सी पर बैठाना, मत देने से पहले, लेना सही-ग़लत पहचान! संकट में है हिन्दुस्तान! संकट में है हिन्दुस्तान!! _ |
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बुधवार, 19 जनवरी 2022
गीत "माँग रहे हैं ये वोटों का दान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सोच-समझकर बटन दबाना,
जवाब देंहटाएंझाँसे में बिल्कुल मत आना,
घोटाले करने वालों को,
कभी न कुर्सी पर बैठाना,
सही है, जनता को अपने मतदान का उपयोग बहुत समझदारी से करना होगा बिना किसी लोभ या दबाव मेन आए
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२०-०१ -२०२२ ) को
'नवजात अर्चियाँ'(चर्चा अंक-४३१५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है
जवाब देंहटाएंकुछ बेइमानों के निशान ज़िक्र किए जाने से बाक़ी रह गए.
जवाब देंहटाएंहिंदुस्तान को संकट में डालने वाले चोर तो सभी जगह हैं.
वाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसामायिक जागरूकता पैदा करता गीत ।
जवाब देंहटाएंसटीक सृजन।