-- फूली रोटी देखकर, मन होता अनुरक्त। हँसी-खुशी से काट लो, जैसा भी हो वक्त।१। -- फूली-फूली रोटियाँ, सजनी रही बनाय। बाट जोहती है सदा, कब साजन घर आय।२। -- घर के खाने में भरा, घरवाली का प्यार। सजनी खाने के लिए, करती है मनुहार।३। -- फूली-फूली रोटियाँ, मन को करें विभोर। इनको खाने देश में, आते रोटीखोर।४। -- नगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो खूब दलाल। रोटीखोरों ने किया, वतन आज कंगाल।५। -- रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल। दुनिया में सबसे बड़ा, रोटी का भूगोल।६। -- रोटी सबका लक्ष्य है, रोटी है तकदीर। रोटी के बिन जगत में, चलता नहीं शरीर।७। -- जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार। अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार।८। -- हो रोटी जब पेट में, भाते तब उपदेश। रोजी-रोटी के लिए, जाते लोग विदेश।९। -- तब रोटी अच्छी लगे,
जब लगती है भूख। कुनबे और पड़ोस में, अच्छे रखो रसूख।१०। -- बाहर खाने में नहीं, आता कोई स्वाद। होटल में जाकर सदा, होता धन बरबाद।११। -- दौलत के बाजार में, बिकते रोज रसूख। रोटी की कम भूख है, धन की ज्यादा भूख।१२। -- खाकर माल हराम का, करना मत आखेट। श्रम से अर्जित रोटियाँ, भरती सबका पेट।१३।
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शुक्रवार, 17 मई 2024
दोहे "रोटी हैं अनमोल (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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