फिर से उपवन के सुमनों में
देखो यौवन मुस्काया है।
उपहार हमें कुछ देने को,
नूतन सम्वत्सर आया है।।
उजली-उजली ले धूप सुखद,
फिर सुख का सूरज सरसेगा,
चौमासे में बादल आकर,
फिर उमड़-घुमड़ कर बरसेगा,
फिर नई ऊर्जा देने को,
नूतन सम्वत्सर आया है।।
क्रिसमस-दीवाली-ईद,
दिलों में खुशियाँ लेकर आयेगी,
भूले-बिछुड़ों को अपनों से,
आ कर फिर गले मिलायेगी,
प्रगति के खुलते द्वार लिए,
नूतन सम्वत्सर आया है।।
पागलपन का उन्माद न हो,
हो और न कोई बँटवारा,
शस्त्रों की भूख मिटे मन से,
फैले जग में भाईचारा,
भू का अभिनव शृंगार लिए,
नूतन सम्वत्सर आया है।।
शिक्षा में हो विज्ञान भरा,
गुरुओं का आदर-मान रहे,
प्राचीन धरोहर बनी रहे,
मर्यादा का भी ध्यान रहे,
नवल-अमल सुविचार लिए,
नूतन सम्वत्सर आया है।।
शासक अपने खुद्दार बनें,
गद्दार न गद्दी को पाये,
सारे जग में सबसे अच्छा,
गणतन्त्र हमारा कहलाए,
झंकृत वीणा के तार लिए,
नूतन सम्वत्सर आया है।।
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बुधवार, 29 मार्च 2017
गीत "स्वागत नवसम्वत्सर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नववर्ष मंगलमय हो ।
जवाब देंहटाएंनवसंवस्तर पर सुन्दर गीत प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपको भी गुड़ी पड़वा- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की हार्दिक शुभकामनाएं