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वाह।
जवाब देंहटाएंमनभावन सामायिक सृजन। बधाई आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब ,मनभावन अभिव्यक्ति...।।
सुमन-कलियों की चमन में,
जवाब देंहटाएंडोलियाँ सजने लगीं,
भ्रमर गुंजन कर रहे,
शहनाइयाँ बजने लगीं,
प्रणय-मण्डप में मधुर,
बजने लगीं हैं तालियाँ।
धान के बिरुओं ने,
पहनी हैं नवेली बालियाँ।।
पूरी की पूरी रचना बेहद अतुल्य। आपकी कलम के मुरीद हुये आदरणीय कविवर। नमन