आ रहा मधुमास फिर से, साज मौसम ने बजाया।
प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।।
साल बीता, माह बीते, बीतते दिन-पल गये,
बालपन-यौवन समय के साथ सारे ढल गये,
फिर दरकते पत्थरों ने, ज़िन्दग़ी का गीत गाया।
प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।।
धार के विपरीत ही चलता रहा हूँ मैं हमेशा,
वक्त की रफ्तार को छलता रहा हूँ मैं हमेशा,
प्रतिकूल को अनुकूल करके, पथ अलग मैंने बनाया।
प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।।
गान कर भँवरे रिझाते हैं हमेशा ही सुमन को,
सीख ली है देखकर मैंने परिन्दों की लगन को,
बीन कर तृण-पात मैंने, नीड़ सपनों का बनाया।
प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।।
लोग मेरे जन्मदिन पर, रस्म की करते अदायी,
कम हुआ है साल पर, स्वीकार करता हूँ बधायी,
देखकर अपनत्व सबका, हर्ष है मन में समाया।
प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।।
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रविवार, 4 फ़रवरी 2018
गीत "साज मौसम ने बजाया, जन्मदिन फिर आज आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सटीक और सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमानव को ईश्वर की सर्वोत्तम कृति माना जाता है, इसलिए भी जन्मदिन की बधाई दी जाती है
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई!
बहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर ।
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