मित्रों! कल चार फरवरी, 2018 रविवार को मेरे 68वों जन्म दिन पर मेरी सातवीं और आठवीं प्रकाशित पुस्तकों (स्मृति उपवन और ग़ज़लियात-ए-रूप) का विमोचन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर डॉ. राकेशचन्द्र रस्तोगीः अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक, खटीमा फाइबर्स कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, अध्यक्षता राणाप्रताप इण्टर कॉलेज के प्रबन्धक आदरणीय गीता राम बंसल ने की तथा संचालन संस्था के महासचिव डॉ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय नन्द ने किया। समारोह का शुभारम्भ संगीत के जाने-माने हस्ताक्षर आदरणीय श्री श्रीभगवान मिश्र ने किया और स्वागत गान राज.आ.प.विद्यालय के 4 छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया। पुस्तकों के विमोचन के उपरान्त सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें साहित्य शिरोमणि से अलंकृत होने वालों में- डॉ. सुभाष चन्द्र वर्माःप्राचार्य-राजकीय महाविद्यालय, सितारगंज, डॉ. राजविन्दर हिन्दी विभागाध्यक्ष-राजकीय महाविद्यालय, सितारगंज, प्रो.वाचस्पति अवकाशप्राप्त हिन्दी विभागाध्यक्ष-राजकीय महाविद्यालय, वाराणसी, डॉ. सिद्धेश्वर सिंह हिन्दीविभागाध्यक्ष-राजकीय महाविद्यालय, बनबसा (चम्पावत), डॉ. जगदीशचन्द्र पन्त कुमुद थे।साहित्य श्री से अलंकृत होने वालों में डॉ. पुष्पा जोशी प्राकाम्य, श्रीमती राधा तिवारी "राधेगोपाल" थीं। श्रीमती अमिता प्रकाश असिस्टेंट प्रो. राजकीय स्नातकोत्तर महा विद्यालय, द्वाराहाट को कथा शिरोमणि से अलंकृत किया गया। गोसंवर्धन में उत्कृष्ट कार्य के लिए श्री मुन्नालाल आर्य को गोपाल शिरोमणि से अलंकृत किया गया। मंच संचालन और तकनीक के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए श्री अमन अग्रवाल मारवाड़ी को साहित्य भूषण से अलंकृत किया गया। श्री मनोज कामदेव तथा श्री अनिल शुक्ल अनिल को दोहा शिरोमणि से अलंकृत किया गया। साथ ही श्री जगदीश प्रसाद शुक्ल को संगीत श्री डॉ. विश्व मित्र शास्त्री को संग्त श्री तथा श्री राजेन्द्र अवस्थी किंकर को हास्य श्री से अलंकृत किया गया। भोजनोपरान्त चले सत्र में काव्य संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें उपरोक्त के अतिरिक्त डॉ. मुकेश कुमार संस्कृत विभागाध्यक्ष-राजकीय महाविद्यालय, बनबसा (चम्पावत) एड. शहाना कुरैशी, एड. डॉ. एम. इलियास सिद्दीकी, शुभांकर शुक्ला, सुश्री मनीषा उपाध्याय, श्रीमती राधा तिवारी 'राधेगोपाल', बालकवि आकाश, श्री दुर्बल सिंह बिन्द आदि ने अपना काव्यपाठ प्रस्तुत किया और इस संगोष्ठी की अध्यक्षता राज.आ.प.विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री आर.डी.जोशी ने की। कार्यक्रम का आद्योपान्त संचालन संस्था के महासचिव डॉ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय नन्द ने किया, जिसकी उपस्थित जनसमूह ने भूरि-भूरि सराहना की। समारोह की चित्रावली निम्नवत् है- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 5 फ़रवरी 2018
"साहित्यकार समागम एवं पुस्तक विमोचन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।