फूली रोटी देखकर, मन होता अनुरक्त।
हँसी-खुशी से काट लो, जैसा भी हो वक्त।१।
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फूली-फूली रोटियाँ, सजनी रही बनाय।
बाट जोहती है सदा, कब साजन घर आय।२।
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घर के खाने में भरा, घरवाली का प्यार।
सजनी खाने के लिए, करती है मनुहार।३।
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फूली-फूली रोटियाँ, मन को करें विभोर।
इनको खाने देश में, आते रोटीखोर।४।
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नगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो खूब दलाल।
रोटीखोरों ने किया, वतन आज कंगाल।५।
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रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल।
दुनिया में सबसे बड़ा, रोटी का भूगोल।६।
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रोटी सबका लक्ष्य है, रोटी है तकदीर।
रोटी के बिन जगत में, चलता नहीं शरीर।७।
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जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार।
अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार।८।
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हो रोटी जब पेट में, भाते तब उपदेश।
रोजी-रोटी के लिए, जाते लोग विदेश।९।
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तब रोटी अच्छी लगे, जब लगती है भूख।
कुनबे और पड़ोस में, अच्छे रखो रसूख।१०।
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बाहर खाने में नहीं, आता कोई स्वाद।
होटल में जाकर सदा, होता धन बरबाद।११।
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दौलत के बाजार में, बिकते रोज रसूख।
रोटी की कम भूख है, धन की ज्यादा भूख।१२।
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खाकर माल हराम का, करना मत आखेट।
श्रम से अर्जित रोटियाँ, भरती सबका पेट।१३।
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मंगलवार, 24 सितंबर 2019
दोहे "रोटी भरती पेट" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत ख़ूबसूरत दोहे...
जवाब देंहटाएंनगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो खूब दलाल।
जवाब देंहटाएंरोटीखोरों ने किया, वतन आज कंगाल। ... तुकबंदी के माहिर शास्त्री जी के दोहे ... वाह बहुत खूब