सभ्यता, शालीनता के गाँव में, खो गया जाने कहाँ है आचरण? कर्णधारों की कुटिलता देखकर, देश का दूषित हुआ वातावरण। -- सुर हुए गायब, मृदुल शुभगान में, गन्ध है अपमान की, सम्मान में, आब खोता जा रहा अन्तःकरण। खो गया जाने कहाँ है आचरण? -- शब्द अपनी प्राञ्जलता खो रहा, ह्रास अपनी वर्तनी का हो रहा, रो रहा समृद्धशाली व्याकरण। खो गया जाने कहाँ है आचरण? -- लग रहे घट हैं भरे, पर रिक्त हैं, लूटने में राज को, सब लिप्त हैं, पंक से मैला हुआ है आवरण। खो गया जाने कहाँ है आचरण? -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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सोमवार, 30 नवंबर 2020
गीत "रो रहा समृद्धशाली व्याकरण" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रविवार, 29 नवंबर 2020
दोहे "देव दिवाली पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दीपों का त्यौहार है, देव दिवाली पर्व।परम्परा पर देश की, हम सबको है गर्व।। --गुरु नानक का जन्मदिन, देता है सन्देश। |
शनिवार, 28 नवंबर 2020
दोहे "खास हो रहे मस्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
एकल कवितापाठ का, अपना ही आनन्द। |
शुक्रवार, 27 नवंबर 2020
गीत "आसमान का छोर, तुम्हारे हाथों में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आसमान का छोर, तुम्हारे हाथों में। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।। -- लहराती-बलखाती, पेंग बढ़ाती है, नीलगगन में ऊँची उड़ती जाती है, होती भावविभोर तुम्हारे हाथों में। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।। -- वसुन्धरा की प्यास बुझाती है गंगा, पावन गंगाजल करता तन-मन चंगा, सरगम का मृदु शोर तुम्हारे हाथों में।। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।। -- उपवन में कलिकाएँ जब मुस्काती हैं, भ्रमर और तितली को महक सुहाती है, जीवन की है भोर तुम्हारे हाथों में। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।। -- प्रणय-प्रेम के बिना अधूरी पावस है, बिन “मयंक” के छायी घोर अमावस है, चन्दा और चकोर तुम्हारे हाथों में। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथों में।। -- |
गुरुवार, 26 नवंबर 2020
ग़ज़ल "कठिन बुढ़ापा बीमारी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
हिम्मत अभी नहीं हारी है जंग ज़िन्दगी की जारी है -- मोह पाश में बँधा हुआ हूँ ये ही तो दुनियादारी है -- ज्वाला शान्त हो गई तो क्या दबी राख में चिंगारी है -- किस्मत के सब भोग भोगना इस जीवन की लाचारी है -- चार दिनों के सुख-बसन्त में मची हुई मारा-मारी है -- हाल भले बेहाल हुआ हो जान सभी को ही प्यारी है -- उसकी लीला-वो ही जाने ना जाने किसकी बारी है -- ढल जायेगा 'रूप' एक दिन कठिन बुढ़ापा बीमारी है -- |
बुधवार, 25 नवंबर 2020
दोहे "देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कातिक की एकादशी, होती
देवउठान। |
मंगलवार, 24 नवंबर 2020
बालकविता "कौआ होता अच्छा मेहतर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कौआ बहुत सयाना होता। |
सोमवार, 23 नवंबर 2020
बालकविता "ये हैं चौकीदार हमारे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
टॉम-फिरंगी प्यारे-प्यारे। ये हैं चौकीदार हमारे।। हमको ये लगते हैं अच्छे। दोनों ही हैं सीधे-सच्चे।। न्हाते नित्य नियम से दोनों। साबुन साबुन भी मलवाते दोनों।। बाँध चेन में इनको लाते। बाबा कंघी से सहलाते।। इन्हें नहीं कहना बाहर के। संगी-साथी ये घरभर के।। सुन्दर से हैं बहुत सलोने। लगते दोनों हमें खिलौने।। |
रविवार, 22 नवंबर 2020
बालकविता "बिल्ली मौसी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बिल्ली
मौसी बिल्ली मौसी, |
शनिवार, 21 नवंबर 2020
बालगीत "जोकर खूब हँसाये" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- जो काम नही कर पायें दूसरे, वो जोकर कर जाये। सरकस मे जोकर ही, दर्शक-गण को खूब रिझाये। -- नाक नुकीली, चड्ढी ढीली, लम्बी टोपी पहने, उछल-कूद कर जोकर राजा, सबको खूब हँसाये। -- चाँटा मारा साथी को, खुद रोता जोर-शोर से, हाव-भाव से, शैतानी से, सबका मन भरमाये। -- लम्बा जोकर तो सीधा है, बौना बड़ा चतुर है, उल्टी-सीधी हरकत करके, बच्चों को ललचाये। -- |
शुक्रवार, 20 नवंबर 2020
बालगीत "सीधा प्राणी गधा कहाता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुरुवार, 19 नवंबर 2020
दोहे "छठपूजा त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उगते ढलते सूर्य का, छठपूजा त्यौहार। |
बुधवार, 18 नवंबर 2020
मेरी बालकविता “कंप्यूटर”, हिन्दी की टेक्सटबुक (अंकुर हिन्दी पाठमाला) (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
आज “चैतन्य का कोना” ब्लॉग पर अचानक ही डॉ. मोनिका शर्मा की इस पोस्ट पर भी नजर पड़ी। ब्लॉगिंग से जुड़े सभी लोग रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी की बाल कवितायेँ पढ़ ही चुके हैं । मुझे भी उनकी बाल कवितायेँ बहुत पसंद हैं । आज चैतन्य की हिन्दी की टेक्सटबुक (अंकुर हिन्दी पाठमाला) खोली तो इन दिनों स्कूल में पढ़ाई जा रही बाल कविता “कंप्यूटर” रूपचंद्र शास्त्री जी की ही थी । बहुत अच्छा लगा.... सुखद आश्चर्य हुआ कि मैं उन्हें पहले से जानती हूँ जब से ब्लॉगिंग की दुनिया से जुड़ी हूँ, उनकी बालसुलभ रचनाएँ पढ़ती आ रही हूँ "कम्प्यूटर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) मन को करता है मतवाला। कम्प्यूटर है बहुत निराला।। यह इसका अनिवार्य भाग है। कम्प्यूटर का यह दिमाग है।। चलते इससे हैं प्रोग्राम। सी.पी.यू.है इसका नाम।। गतिविधियाँ सब दिखलाता है। यह मॉनीटर कहलाता है।। सुन्दर रंग हैं न्यारे-न्यारे। आँखों को लगते हैं प्यारे।। इसमें कुंजी बहुत समाई । टाइप इनसे करना भाई।। सोच-सोच कर बटन दबाना। हिन्दी-इंग्लिश लिखते जाना।। यह चूहा है सिर्फ नाम का। माउस होता बहुत काम का।। यह कमाण्ड का ऑडीटर है। इसके वश में कम्प्यूटर है।। कविता लेख लिखो जी भर के। तुरन्त छाप लो इस प्रिण्टर से।। नवयुग का कहलाता ट्यूटर। बहुत काम का है कम्प्यूटर।। |
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आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
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