आज “चैतन्य का कोना” ब्लॉग पर अचानक ही डॉ. मोनिका शर्मा की इस पोस्ट पर भी नजर पड़ी। ब्लॉगिंग से जुड़े सभी लोग रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी की बाल कवितायेँ पढ़ ही चुके हैं । मुझे भी उनकी बाल कवितायेँ बहुत पसंद हैं । आज चैतन्य की हिन्दी की टेक्सटबुक (अंकुर हिन्दी पाठमाला) खोली तो इन दिनों स्कूल में पढ़ाई जा रही बाल कविता “कंप्यूटर” रूपचंद्र शास्त्री जी की ही थी । बहुत अच्छा लगा.... सुखद आश्चर्य हुआ कि मैं उन्हें पहले से जानती हूँ जब से ब्लॉगिंग की दुनिया से जुड़ी हूँ, उनकी बालसुलभ रचनाएँ पढ़ती आ रही हूँ "कम्प्यूटर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) मन को करता है मतवाला। कम्प्यूटर है बहुत निराला।। यह इसका अनिवार्य भाग है। कम्प्यूटर का यह दिमाग है।। चलते इससे हैं प्रोग्राम। सी.पी.यू.है इसका नाम।। गतिविधियाँ सब दिखलाता है। यह मॉनीटर कहलाता है।। सुन्दर रंग हैं न्यारे-न्यारे। आँखों को लगते हैं प्यारे।। इसमें कुंजी बहुत समाई । टाइप इनसे करना भाई।। सोच-सोच कर बटन दबाना। हिन्दी-इंग्लिश लिखते जाना।। यह चूहा है सिर्फ नाम का। माउस होता बहुत काम का।। यह कमाण्ड का ऑडीटर है। इसके वश में कम्प्यूटर है।। कविता लेख लिखो जी भर के। तुरन्त छाप लो इस प्रिण्टर से।। नवयुग का कहलाता ट्यूटर। बहुत काम का है कम्प्यूटर।। |
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बुधवार, 18 नवंबर 2020
मेरी बालकविता “कंप्यूटर”, हिन्दी की टेक्सटबुक (अंकुर हिन्दी पाठमाला) (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सुन्दर बाल कविता।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.11.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत ही सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंआज के युग में कम्प्यूटर का महत्व बताती सुंदर बाल कविता।
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