गम के दरिया से बाहर निकालो कदम, राह खुशियों की आसान हो जायेगी। रोने-धोने से होंगे न आँसू खतम, उलझनें भारी पाषाण हो जायेगी।। साँस को मत कुरेदो बहक जायेगी, आग को मत कुरेदो चहक जायेगी, भूल जाना जफा,
याद करना वफा, जिन्दगी एक वरदान हो जायेगी। रोने-धोने से होंगे न आँसू खतम, उलझनें भारी पाषाण हो जायेगी।। फूल काँटों मे रहकर भी रोता नही, दर्द सहता है,
मुस्कान खोता नही, बाँट लो प्यार को, काट लो जिन्दगी, सुख की घड़ियाँ मेहरबान हो जायेगी। रोने-धोने से होंगे, न आँसू खतम, उलझनें भारी पाषाण हो जायेगी।। जिसने अमृत चखा,
वो फकत देव है, पी लिया जिसने विष, वो महादेव है, दो कदम तुम चलो, दो कदम हम चलें, एक दिन जान-पहचान हो जायेगी। रोने-धोने से होंगे, न आँसू खतम, उलझनें भारी पाषाण हो जायेगी।। |
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गुरुवार, 12 मई 2022
गीत "राह खुशियों की आसान हो जायेगी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१३-०५-२०२२ ) को
'भावनाएं'(चर्चा अंक-४४२९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं