मुसलमान का नाम तो, हुआ आज बदनाम।। -- ओढ़ लबादा धर्म का, घूम रहे शैतान। दहशतगर्दों का नहीं, होता धर्म-इमान।। -- लालच में पड़कर युवक, करते रोज गुनाह। ऐसे लोगों को सदा, देता पाक पनाह।। -- करवाते बेखौफ जो, दंगा और फसाद। दहशतगर्दों में बढ़ा, शैतानी उन्माद।। -- हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख सब, रब की हैं सन्तान। हत्याओं से पेशतर, सोच अरे नादान।। -- करो हिफाजत देश की, अपनी देकर जान। मजलूमों की मदद को, कहता है कुरआन।। -- अच्छे-सच्चे काम कर, करो कौम का नाम। नेक काम से ही सदा, खुश होते भगवान।। -- जगतनियन्ता एक है, किन्तु भिन्न हैं नाम। चाहे हो रहमान वो, चाहे वो हो राम।। -- मन्दिर-मस्जिद में नहीं, रहता है भगवान। कण-कण में जो रम रहा, वही राम-रहमान।। -- |
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गुरुवार, 4 अगस्त 2022
दोहे "शैतानी उन्माद" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 5 अगस्त 2022 को 'युद्द की आशंकाओं में फिर घिर गई है दुनिया' (चर्चा अंक 4512) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
साम्प्रदायिक सौहार्द ही देश की अनुपम मिसाल है...💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
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