-- परम्परा मत समझना, राखी का त्यौहार। रक्षाबन्धन में निहित, होता पावन प्यार।। -- राखी लेकर आ गयी, बहना बाबुल-द्वार। भाई देते खुशी से, बहनों को उपहार।। -- रक्षाबन्धन पर्व का, दिन है सबसे खास। जिनके बहनें हैं नहीं, वो हैं आज उदास।। -- ममता की इस डोर में, उमड़ा रहा है प्यार। भावनाओं से बँधें हैं, सम्बन्धों के तार।। -- अपनी बहनों से कभी, मत होना नाराज। भइया रक्षा-सूत्र की, रखना हरदम लाज।। -- धागे कच्चे हों भले, ममता है मजबूत। लेकिन भाई का हृदय , कर देते अभिभूत।। -- जरी-सूत या जूट के, धागे हैं अनमोल। गौरव के इतिहास से, सज्जित है भूगोल।। -- राखी के दिन देश में, उमड़ा प्यार-अपार। रिश्ते-नातों की चहक, देख रहा संसार।। -- निश्छल पावन प्यार का, होता जहाँ निवेश। न्यारा सारे जगत से, मेरा भारत देश।। |
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गुरुवार, 11 अगस्त 2022
दोहे "सम्बन्धों के तार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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परम्परा मत समझना, राखी का त्यौहार।
जवाब देंहटाएंरक्षाबन्धन में निहित, होता पावन प्यार।।
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राखी के दिन देश में, उमड़ा प्यार-अपार।
रिश्ते-नातों की चहक, देख रहा संसार।।
.. .. बहुत सुन्दर सामयिक रचना
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 12 अगस्त 2022 को 'जब भी विपदा आन पड़ी, तुम रक्षक बन आए' (चर्चा अंक 4519) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
बहुत ही सुन्दर दोहे आदरणीय
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, बहुत ही भावपूर्ण प्यारे से दोहे रक्षाबन्धन के सह ह अवसर पर। भाई- बहन का प्यार सच में अनुपम होता है, बचपन से ही हमारे भाई बहन हमारे सबसे घनिष्ट मित्र भी होते हैं। बहुत बहुत आभार इस सुंदर रचना के लिए। सादर चरण स्पर्श।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण और सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण दोहे
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