-- बीत गया सावन सखे, आया भादौ मास। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, उत्सव आया खास।। -- श्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार। हे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।। -- राजनीति में हो गये, सारे कौवे हंस। बाहर से गोपाल हैं, भीतर से हैं कंस।। -- दोपायो से आज हैं, चौपाये भयभीत। कैसे फिर मिल पायगा, दूध-दही नवनीत।। -- जब आयेंगे देश में, कृष्णचन्द्र गोपाल। आशा है गोवंश का, तब सुधरेगा हाल।। -- जल थल में क्रीड़ा करें, बालक जब नन्दलाल। नाचेंगी तब गोपियाँ, ग्वाले देंगे ताल।। -- भारत के वर्चस्व का, जिससे हो आभास। लगता गीता ग्रन्थ है, हमको सबसे खास।। -- फल की इच्छा मत करो, कर्म करो निष्काम। कण्टक वृक्ष खजूर पर, कभी न लगते आम।। -- वेद-पुराण-कुरान का, गीता में है सार। भगवतगीता पाठ से, होते दूर विकार। दो माताओं का मिले, जिसको प्यार दुलार। वो ही करता जगत में, दुष्टों का संहार।। -- |
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गुरुवार, 18 अगस्त 2022
दोहे "बालक नन्दलाल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार।
जवाब देंहटाएंहे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।।
बहुत सुन्दर सृजन । कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ एवं बधाई ।
वाह वाह! बहुत सुंदर और सामयिक अभिव्यक्ति!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा संसार।
जवाब देंहटाएंहे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार।।
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राजनीति में हो गये, सारे कौवे हंस।
बाहर से गोपाल हैं, भीतर से हैं कंस।।
--तब एक कंस था, एक दुर्योधन था, आज इनकी फेहरिस्त बड़ी लम्बी है, सोच रहे होंगे मनमोहन किस-किस का और कब तक संहार करूँ
बहुत सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ एवं बधाई सर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंwah!! Sabhi dohe bahut achhe lage!
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