बेटी की महिमा अनन्त है। बिटिया से घर में बसन्त है।। किलकारी की गूँज सुनाती, परिवारों को यही बसाती। नारी नर की खान रही है, परिवारों की शान यही है, प्रथमपूज्या एकदन्त
है। बेटी से घर में बसन्त है।। -- झिड़की-ताने सबके सहती, फिर भी शान्त हमेशा रहती, अमल-धवल गंगा सी बहती, नहीं किसी से कुछ भी कहती, उपवन जैसी यह उदन्त है। बेटी से घर में बसन्त है।। -- माँ-बेटी भगिनी का गुलशन, महकाती सबके घर-आँगन, पत्नी बन कर्तव्य निभाती, अपनी ममता-प्यार लुटाती, पौधों का ये विटप वृन्त है। बेटी से घर में बसन्त है।। -- सुर-नर-मुनि उपदेश सुनाते, देवी की महिमा सब गाते, सुख का है सागर नारी, ये सबला हैं सब पर भारी, गुण-धर्मों का नहीं अन्त है। बेटी से घर में बसन्त है।। -- |
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शनिवार, 6 अगस्त 2022
गीत "बेटी की महिमा अनन्त है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (7 -8-22} को "भारत"( चर्चा अंक 4514) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
मीठे और कर्णप्रय सत्य वाली यह काव्य रचना उन चंद लोगों की आँखे खोलने के लिए भी पर्याप्त है जो आज भी बेटी को कमतर आँकते हैं। राष्ट्रकुल खेलों में बेटियाँ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं! बहुत से क्षेत्रों में लड़कों से बेहतर कर रही हैं। सभी बेटियों और महिलाओं को को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आदरणीय शास्त्री जी को इस सुंदर, सार्थक और समयानुकूल काव्य रचना के लिए बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंउपर्युक्त टिप्पणी में पहली पंक्ति में 'कर्णप्रय' के स्थान पर 'कर्णप्रिय' पढ़ा जाए। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं'बेटी से घर में बसंत है' वाह !
जवाब देंहटाएंअपनी बेटी तो बसंत है ही. काश कि हम दूसरे की बेटी जिसे कि हम ब्याह कर अपने घर लाते हैं, उसे भी बसंत ही मानें, पतझड़ नहीं !
परम आदरणीय शास्त्रीजी सादर प्रणाम। ईश्वर से आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना है। प्रार्थना है कि आप शीघ्रअतिशीघ्र स्वस्थ होकर पहले की तरह ब्लॉग जगत में सक्रिय हों। अपना ख्याल रखिएगा। आपको ढेरों शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर आदरणीय ,बेटियों की महिमा को शब्दों में पिरोया है ।
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, बहुत सुंदर कविता...बेटियां एसी ही होती हैं...झिड़की-ताने सबके सहती,
जवाब देंहटाएंफिर भी शान्त हमेशा रहती,
अमल-धवल गंगा सी बहती,
नहीं किसी से कुछ भी कहती,
उपवन जैसी यह उदन्त है।
बेटी से घर में बसन्त है।।...बहुत खूब लिखा आपने