वन्दन शत्-शत् बार।
बिना आपके है नहीं,
जीवन का आधार।।
--
बचपन मेरा खो गया,
हुआ वृद्ध मैं आज।
सोच-समझकर अब मुझे,
करने हैं सब काज।।
--
जब तक मेरे शीश पर,
रहा आपका हाथ।
लेकिन अब आशीष का,
छूट गया है साथ।।
--
तारतम्य टूटा हुआ, उलझ गये हैं तार।
कौन मुझे अब करेगा, पिता सरीखा प्यार।।
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माँ ममता का रूप है, पिता सबल आधार।
मात-पिता सन्तान को, करते प्यार अपार।।
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सूना सब संसार है, सूना घर का द्वार।
बिना पिता जी आपके, फीके सब त्यौहार।।
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तात मुझे बल दीजिए, उठा सकूँ मैं भार।
एक-नेक बनकर रहे, मेरा ये परिवार।।
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रविवार, 17 जून 2018
"पूज्य पिता जी आपका, वन्दन शत्-शत् बार"
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-06-2018) को "पूज्य पिता जी आपका, वन्दन शत्-शत् बार" (चर्चा अंक-3004) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं