राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर
अहिंसा के अस्तित्व पर कुछ दोहे-
अपना भारतवर्ष है, गाँधी जी का देश।
सत्य-अहिंसा के यहाँ, मिलते हैं सन्देश।।
चाहे काल भविष्य हो, वर्तमान या भूत।
सत्य-अहिंसा का किला, रहे सदा मजबूत।।
चाहे कोई खण्ड हो, या कोई हो काल।
जहाँ अहिंसा हो वहाँ, रहते अच्छे हाल।।
पूरब-पश्चिम, मध्य हो, या उत्तर-कशमीर।
सत्य-अहिंसा का सदा, बहता रहे समीर।।
सत्य-अहिंसा, प्रेम का, रहता जहाँ घनत्व।
कलम और तलवार का, होता अलग महत्व।।
देता सबको सीख है, गाँधी का निर्वाण।
हिंसा का परिवेश तो, ले लेता है प्राण।।
सत्य-अहिंसा से बना, भारत का गणतन्त्र।
पग-पग पर सद-भाव के, यहाँ गूँजते मन्त्र।।
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बुधवार, 30 जनवरी 2019
दोहे "गाँधी का निर्वाण" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31.01.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3233 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
मैं डॉ आनंदी सिंह, 28 साल से मुबंई में माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत हूँ। तथा मणिभवन मुबंई में हर साल मै गांधी जी के जन्मदिन तथा पुण्यतिथि में हिस्सा लेती हूँ। वहाँ बहुत से कार्यकर्म का आयोजन होता है। मै खुद गांधी जी के विचारों पर चलती हूँ। किंतु आज के युग में गांधी के विचार नदारद है। धन्यवाद। डॉ आनंदी सिंह
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