सदियों का सपना यहाँ, होगा अब
साकार।।
--
होगा फिर आबाद अब, उजड़ा
जम्बूद्वीप।
जल जायेंगे घरो में, खुशियों
के अब दीप।।
--
सिंधुनदी-राबीनदी, झेलम
और चनाब।
होंगी हिन्दुस्तान की, कहता
इनका आब।।
--
हिस्सा हिन्दुस्तान
का, सिंध और पंजाब।
गिलगित से पख्तून से, आता यही जवाब।।
--
ननकाना साहिब रहा, हमको
आज पुकार।
नौशेरा लाहौर पर, कर
लो अब अधिकार।।
--
करते पाकिस्तान के, लोग यही आह्वान।
कब्जा पाकिस्तान से, छोड़ो अब इमरान।।
--
काला धन हो जायगा, जड़ से सारा साफ।
गद्दारों को देश अब, नहीं करेगा माफ।।
--
हर्ष और उल्लास के, दिन
हैं अब नजदीक।
सबकी पूँजी की सघन, होगी अब
तसदीक।।
--
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शनिवार, 16 नवंबर 2019
दोहे "दिन हैं अब नजदीक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सर
जवाब देंहटाएंबेजोड़ दोहों का सृजन किया है
सादर
सामायिक विषय पर सकारात्मक दोहे उर्जा से भरपूर।
जवाब देंहटाएंननकाना साहिब रहा, हमको आज पुकार।
जवाब देंहटाएंनौशेरा लाहौर पर, कर लो अब अधिकार।। ये तो भारत की दुंदुभि है अपने क्षेत्र को पाने के लिए .... बहुत खूब लिखा है शास्त्री जी ....