न्याय मिला श्री राम को, न्यायालय से आज।
अब मन्दिर निर्माण का, पूरा होगा काज।।
दोनें पक्षों को मिला, उनका अब अधिकार।
मन्दिर-मस्जिद को दिया, धरती का उपहार।।
भव्य बने मन्दिर वहाँ,
मस्जिद आलीशान।
अलग-अलग भू पर
बने, पूजा-सदन महान।।
धर्मों के दरम्यान
में, कभी न हो तकरार।
न्यायालय ने पाट
दी, अब तो सभी दरार।।
सदियों से था चल
रहा, जो भी वाद-विवाद।
मिटा एक आदेश से, दोनों
का उन्माद।।
न्याय अदालत ने
किया, सबका रखकर ध्यान।
अमर हुआ नौ नवम्बर,
तवारीख के नाम।।
वर्तमान ये बन
गया, अब स्वर्णिम इतिहास।
करते जय-जयकार
हैं, धरा और आकाश।।
|
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शनिवार, 9 नवंबर 2019
दोहे "स्वर्णिम इतिहास" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (11-11-2019) को दोनों पक्षों को मिला, उनका अब अधिकार (चर्चा अंक 3516) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं….
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
देर जरूर लगी लेकिन सबकुछ शांतिपूर्वक रहा, यह देश के लिए गौरव की बात है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
श्री मान जी सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंआपके ये दोहे बहुत अच्छे लगें आपका लिंक हमारे न्यूज चैनल नमामि गंगे न्यूज पर लगाया गया है। आप भी सादर आमंत्रित हैं। कृपया पधारे।
मुझे यह आर्टिकल पड कर बहुत अच्छा लगा कि हमारे देश भी technlogy के मामले आगे बड रहा है। मैंने भी अपना ब्लॉग बनाया है चाहे तो आप एक बार अवश्य visit का ।
जवाब देंहटाएंShayaribell