फड़नवीस सरकार की, बन्द
हो गयी राह।
असमंजस में हैं पड़े, मोदी-नड्डा-शाह।।
बाला साहब का हुआ, सपना अब
साकार।
राजनीति के खेल में, गयी
भा.ज.पा. हार।।
छल की नौका से भला, कौन
हुआ है पार।
जब आये मझधार में, टूट
गयी पतवार।।
तुरुप चाल अपनी चले, छत्रप
शरद पवार।
महाराष्ट्र में आ गयी, उद्धव
की सरकार।।
बीच धार में छोड़कर, भागे
अजित पवार।
सत्ता पाने के सभी, बन्द कर
दिये द्वार।।
दाँव सभी उलटे पड़े, पलट
गयी है चाल।
तीन दिनों के बाद में,
उजड़ गयी चौपाल।।
आगे-आगे देखिए, क्या होगा
यजमान।
बदल सका कोई नहीं, कुदरत
का फरमान।।
पहन लिया है शीश पर, शिव
सेना ने ताज।
हँसी-खेल मत समझना, शासन
की परवाज।।
|
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बुधवार, 27 नवंबर 2019
दोहे "उद्धव की सरकार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"हँसी-खेल मत समझना, शासन की परवाज"
जवाब देंहटाएंबढ़िया है सर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.11.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3533 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
वाह !सर बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर