जन्मदिवस चाचा नेहरू का,
बच्चों भूल न
जाना।
ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा,
सादा जीवन अपनाना।।
नित्य-नियम से सदा सींचना,
बगिया की फुलवारी।
मत-मजहब के गुलदस्ते सी,
वसुन्धरा है
प्यारी।
अपनी इस पावन धरती पर,
वैमनस्य मत उपजाना।
सादा जीवन अपनाना।।
सुख-दुख का तो दुनियाभर में,
चक्र सदा चलता
रहता।
वो महान जो दोनों को,
सहजभाव से है सहता।
विपदाओं के क्षणिक काल में,
कभी न तुम
घबराना।
सादा जीवन अपनाना।।
पथ में कंकड़-पत्थर बिखरे,
काँटे उगे चमन
में।
पथ पर आगे बढ़ते जाना,
आशा रखकर मन में।
सत्य-अहिंसा हर हालत में,
निज हथियार
बनाना।
ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा,
सादा जीवन अपनाना।।
भारत के हैं भाग्य विधाता,
होनहार सब
बच्चे।
छल-फरेब को नहीं जानते,
बालक होते सच्चे।
प्यार बाँटना सारे जग में,
सबको गले लगाना।
ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा,
सादा जीवन अपनाना।।
|
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बुधवार, 13 नवंबर 2019
बालगीत "जन्मदिवस चाचा नेहरू का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.11.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3519 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
"हम होंगे कामयाब एक दिन" को और गहरा अर्थ देती रचना।
जवाब देंहटाएंकुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
मशीन बनाए जाते बच्चों को फिर से बच्चा बनाने का प्यारा सन्देश !
जवाब देंहटाएं