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जीवन से कम हो गया, एक सुहाना
साल।
क्या खोया क्या पा लिया, करे कौन
पड़ताल।।
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मना रहे हैं जन्मदिन, इष्ट मित्र परिवार।
अपने-अपने ढंग से, लाये सब
उपहार।।
--
जीवन-साथी चल रहा, थाम हाथ
में हाथ।
चार दशक से अधिक से, हम दोनों
हैं साथ।।
--
धीरे-धीरे कट गये, ये उनहत्तर
साल।
प्यार और तकरार में, हुआ न कभी
बबाल।।
--
होते घर-परिवार में, कभी-कभी
मतभेद।
किन्तु न होने चाहियें, आपस में
मनभेद।
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सुख सरिता में हो सदा, सीधा-सरल
बहाव।
पार करे भवसिन्धु को, जीवन की ये
नाव।।
--
ज्यादातर तो कट गयी, थोड़ी है
अवशेष।
गुज़र जाय वो शान से, जितनी भी
है शेष।।
--
जगतनियन्ता आपसे, इतना है
अनुरोध।
जब तक इस जग में रहूँ, रखना मुझे
सुबोध।।
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होते बढ़ती उमर में, शिथिल सभी
के अंग।
किन्तु बुद्धि को भाल से, ईश न करना
भंग।।
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ईश सदा करना कृपा, लगे न मुझको
रोग।
अन्तसमय तक अंग सब, मेरे रहें
निरोग।।
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सुख से बीते आज तक, मेरे सभी
बसन्त।
देने को शुभकामना, आते हैं
श्रीमन्त।।
--
दिल से निकली भावना, है सच्चा
उपहार।
जन्मदिवस पर सभी का, करता हूँ
आभार।।
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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020
दोहे "जीवन की ये नाव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ सर।🙏
जवाब देंहटाएंसदा स्वस्थ रहे,प्रसन्न रहें एवं यशस्वी हो यही कामना है।
साधर।
जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं सर 💐🙏
जवाब देंहटाएंशुभेच्छा संपन्न अति सुन्दर सृजन । आप सदैव स्वस्थ प्रसन्न रहें यही मंगलकामना है ।
बहुत सुंदर सृजन सर ,सादर नमन आपको
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