समीक्षा "छन्दविन्यास" (काव्यरूप) अर्थात् (काव्य लेखन कुञ्जी) (समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') छन्दों के बारे में कलम चलाना बहुत ही कठिन कार्य है। लेकिन विद्वान
साहित्यकार डॉ. संजीव कुमार चौधरी ने इसे सम्भव कर दिखाया है। पेशे से प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजीव कुमार चौधरी लिखते हैं "यह
पुस्तक नवोदित रचनाकारों को न सिर्फ लयबद्ध छन्द रचना की ओर आकर्षित करेगी बल्कि
एक सन्दर्भ पुस्तिका के रूप में हर तरह से अधिकांश काव्य मनीषियों के लिए भी मददगार
होगी।" छन्द विन्यास (काव्यरूप) में लेखक ने इस
संग्रह को चार खण्डों में विभाजित किया है। जहाँ पहले खण्ड में छन्द परिचय, छन्द विन्यास, गण अन्वेषण और छन्द भेद को रखा है।
वहीं खण्ड -2 में मात्रिक छन्दों के बार में जानकारी दी है। जिसमें
विभिन्न छन्दों जैसे- मात्रिक छन्द अहीर छन्द, तोमर छन्द, लीला छन्द. नित छन्द,
हाकलि/ मानव छन्द, मधु मालती छन्द, विजात छन्द, मनोरम छन्द, चौपाई या जयकरी
छन्द, गोपी छन्द, चौबोला छन्द, चौपाई, शृंगार छन्द, पद्धरि/पद्धटिका छन्द,
अरिल्ल छन्द, सिंह विलोकित छन्द, पादाकुलक छन्द, शक्ति छन्द, पीयूषवर्ष छन्द,
आनन्दवर्धक छन्द, सुमेरू छन्द, सगुण छन्द, सिन्धु छन्द, राधिका छन्द, बिहारी
छन्द, कुण्डल छन्द, उड़ियाना छन्द, निश्चल छन्द, रोला छन्द, रूपमाला/मदन छन्द, दिगपाल/मृदुगति छन्द,
सारस छन्द, मुक्तामणि छन्द, गगनांगना छन्द, गीतिका छन्द, गीता छन्द, विष्णुपद
छन्द, शकंर छन्द सरसी/कबीर/सुमन्दर छन्द, शुद्ध गीता छन्द, सार छन्द, छन्न पकैया छन्द, हरिगीतिका/श्रीगीतिका/मिश्रितगीतिका
छन्द, विधाता छन्द, लावणी/कुकुभ/तांटक छन्द, तांटक छन्द, वीर/आल्ह छन्द, त्रिभंगी छन्द, राधास्वामी (मत्त सवैया) छन्द, दोहा
छन्द, सोरठा छन्द, बरवै छन्द, उल्लाला छन्द, कुण्डलिया छन्द, कुण्डलिनी छन्द,
छप्पय छन्द, सिंहनी और गाहिनी छन्द (विषम मात्रिक द्विपदी) और हरिप्रिया आदि साठ
छन्दों के बारे में विस्तार से सोदाहरण जानकारी प्रस्तुत की है। खण्ड-3 में डॉ. संजीव कुमार चौधरी ने वर्णिक
छन्दों वर्णिक छन्द, समानिका छन्द, प्रमाणिका या
नगस्वरूपिणी छन्द. मल्लिका छन्द, स्वागता छन्द, भुजंगी छन्द, शालिनी छन्द,
इन्द्रवज्रा छन्द, उपेन्द्रवज्रा छन्द, दोधक छन्द, इन्दिरा छन्द, वंशस्थ छन्द,
भुजगप्रयात छन्द, द्रुतविलम्बित छन्द, तोटक छन्द, मोतियदाम (मौक्तिकदाम) छन्द,
स्रवग्णी छन्द, वसन्ततिलका छन्द, मालिनी/मुंजमालिनी छन्द, चामर छन्द, मंचचामर (नाराच/गिरिराज) छन्द,
चंचला छन्द, मन्दाक्रान्ता छन्द, शिखरणी छन्द, शार्दुलविक्रीड़ित छन्द, स्रग्धरा
छन्द, सवैया छन्द, मत्तगयन्द या मालती सवैया छन्द, किरीट सवैया, अरसात सवैया
छन्द, चकोर सवैया छन्द, मोद सवैया छन्द, दुर्मिल सवैया छन्द, सुन्दरी सवैया
छन्द, कुन्तला/सुखी/कुन्दलता सवैया छन्द, महामंजीर/सुख सवैया छन्द, अरविन्द सवैया छन्द, सुमुखी/मानिनी/मल्लिका सवैया
छन्द, मुक्तहरा सवैया छन्द, वाम/मंजरी/माधवी/मकरन्द सवैया छन्द, लवंगलता सवैया छन्द, वागीश्वरी सवैया छन्द, महाभुजंगप्रयात
सवैया छन्द, गंगोदर/लक्षी/गंगाधर/खंजन/मत्तमातंगली/लाकर सवैया छन्द, आभार सवैया छन्द, सर्वगामी सवैया छन्द, मंदारमाला
सवैया छन्द, घनाक्षरी छन्द, मनहरण घनाक्षरी/कवित्त छन्द, जनहरण घनाक्षरी छन्द, रूप घनाक्षरी छन्द, जलहरण/हरिहरण घनाक्षरी
छन्द, डमरू घनाक्षरी छन्द, विजया (नगणान्त/लगान्त) घनाक्षरी छन्द, देव घनाक्षरी छन्द, सूर घनाक्षरी छन्द,
श्याम घनाक्षरी छन्द, अनुष्टुप छन्द आदि साठ दुर्लभ छन्दों के बारे में
विस्तार से सोदाहरण जानकारी प्रस्तुत की है। अन्तिम खण्ड-4 में- छन्द मुक्त/नवसृजन के बारे
में निम्न शीर्षकों से प्रकाश डाला है। मुक्त छन्द, तुकान्त मुक्त छन्द,
अतुकान्त मुक्त छन्द, पंचाट छन्द विधा, हाइकु, सांका, सेदोका, चौका, वर्ण
पिरामिड छन्द, डमरू काव्य, गीतिका काव्य विधा, सजल काव्य विधा, गीत विधा, पद
काव्य विधा, चतुष्पदी मुक्तक, क्षणिकाएँ, उपसंहार आदि। छन्दबद्ध रचना के काव्यसौष्ठव का अपना अनूठा
ही स्थान होता है जिसकी जानकारी देकर छन्दों के विज्ञ लेखक डॉ. संजीव कुमार
चौधरी ने साहित्यकारों/कवियों पर
बहुत उपकार किया है। "छन्द विन्यास" को
संगोंपांग पढ़कर मैंने अनुभव किया है कि बहुत से छन्दों की बारीकियों के बारे
में मुझे काव्य लेखन कुंजी "छन्द विन्यास" (काव्य रूप) से ही मिली है। लिखने को तो मैं भी अधिकांश छन्दबद्ध ही रचना करता हूँ किन्तु इमानदारी से कह रहा हूँ कि बहुत से छन्दों की बारीकियों के बारे में मुझे इतना अधिक पता ही नहीं था किन्तु "छन्द विन्यास" से मेरे अल्पज्ञान में निश्चितरूप से अभिवृद्धि हुई है। पिंगलशास्त्र की बहुविधाओं का संग-साथ
लेकर जो दुर्लभ जानकारियाँ इस संकलन में दी गयीं हैं वह अत्यन्त सराहनीय है और
यह नवोदित और स्थापित कवियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
मुझे पूरा विश्वास है कि पाठक काव्य लेखन कुंजी "छन्द
विन्यास" (काव्य रूप) को पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे और यह कृति
समीक्षकों की दृष्टि से भी उपादेय सिद्ध होगी। इस अद्वितीय संकलन के लिए मैं लेखक को बधाई देता हूँ। "छन्द विन्यास" संकलन को आप लेखक डॉ. संजीव कुमार चौधरी, द्वारिका,
दिल्ली के सम्पर्क नम्बर - 9810518727 तथा E-Mail . sanjeew09@gmail.com
से मँगा सकते हैं। 161
पृष्ठों की पेपरबैक पुस्तक का मूल्य मात्र रु. 180/- है। दिनांकः 07-04-2021 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) (कवि एवं साहित्यकार) टनकपुर-रोड, खटीमा जिला-ऊधमसिंहनगर (उत्तराखण्ड) 262 308 E-Mail
. roopchandrashastri@gmail.com Website. http://uchcharan.blogspot.com. Mobile
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"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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गुरुवार, 8 अप्रैल 2021
समीक्षा-छन्दविन्यास (काव्यरूप) (समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत बढ़िया।🌻
जवाब देंहटाएंआदरणीय, आपको एवं पुस्तक के लेखक डॉ. संजीव कुमार चौधरी को धन्यवाद इतनी अच्छी पुस्तक और उसकी समीक्षा लिखने के लिए..।🙏
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 09-04-2021) को
" वोल्गा से गंगा" (चर्चा अंक- 4031) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर समीक्षा
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,आपकी सारगर्भित समीक्षा से पुस्तक के प्रति जिज्ञासा बढ़ रही है, आपको और संजीव कुमार चौधरी जी को हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर समीक्षा।
जवाब देंहटाएं