मन में होना चाहिए, श्रद्धाभाव-विवेक।। -- कुम्भराशि में हो गुरू, मेष राशि में सूर्य। तभी चमकती वो धरा, जैसे हो वैदूर्य।। -- सागर मंथन में मिला, अमृत का जो पात्र। उसे हड़पने के लिए, पीछे पड़े कुपात्र।। -- सुधा कुम्भ को ले उड़ा, नभ में देव जयन्त। उसे छीनने के लिए, चले दैत्य के कन्त।। -- हुआ युद्ध आकाश में, दैत्य गये थे हार। जहाँ गिरे कुछ सुधा-कण, धाम बने वो चार।। -- नासिक और प्रयाग या, हरिद्वार-उज्जैन। महापर्व में कुम्भ के, मिलता मन को चैन।। -- कुम्भ सनातन धर्म का, होता पर्व विशेष। करके जल का आचमन, छोड़ दीजिए द्वेष।। -- अर्द्धकुम्भ या कुम्भ की, महिमा अपरम्पार। श्रद्धा से ही चल रहा, जग का कारोबार।। -- |
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गुरुवार, 15 अप्रैल 2021
दोहे "महापर्व में कुम्भ के, मिलता मन को चैन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर, कुंभ की महिमा अपार
जवाब देंहटाएंअर्द्धकुम्भ या कुम्भ की, महिमा अपरम्पार।
जवाब देंहटाएंश्रद्धा से ही चल रहा, जग का कारोबार।।
बहुत ही सुंदर
सभी दोहे कुंभ की महिमा को मंडित करने वाले और धर्म के प्रति आस्था बढ़ाने वाले हैं।
जवाब देंहटाएंअर्द्धकुम्भ या कुम्भ की, महिमा अपरम्पार।
श्रद्धा से ही चल रहा, जग का कारोबार।।
यह दोहा सर्वाधिक पसंद आया है मुझ।
या फिर भूल सकते हैं कि धर्म हो या कुंभ रूपी उत्सव सभी श्रद्धा से ही सम्बद्ध हैं..। 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकुम्भ का इतिहास और महत्व बताती सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, कुंभ के8 महिमा को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपने। लेकिन अभी कोरोना में जो लोग कुंभ जा रहे है उनकी नासमझी की सजा पूरे देशवासियो को भुगतनी पड़ेगी। काश, उन लोगो को हम समझा पाते।
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे बड़े भाई
जवाब देंहटाएंकुम्भ सनातन धर्म का, होता पर्व विशेष।
जवाब देंहटाएंकरके जल का आचमन, छोड़ दीजिए द्वेष।।
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अर्द्धकुम्भ या कुम्भ की, महिमा अपरम्पार।
श्रद्धा से ही चल रहा, जग का कारोबार।।
महाकुंभ को व्याख्यायित करते सुंदर दोहे...
कुंभ के महत्व को समझाती तथा प्रासंगिक करती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञानवर्धक और रोचक रचना !
जवाब देंहटाएंकुंभ के अर्थों पर प्रकाश ड़ालते सटीक दोहे।
जवाब देंहटाएंशानदार सृजन।