ककड़ी लदी हुईं बेलों पर,
ककड़ी बिकतीं हैं मेलों में,
हाट-गाँव में, फड़-ठेलों पर,
यह रोगों को दूर भगाती,
यह मौसम का फल है अनुपम।
ककड़ी मोह रही सबका मन।।
तापमान दिन का बढ़ जाता,
गर्मी से धरती जलती है,
ऐसे मौसम में सबका ही,
ककड़ी खाने को करता मन।
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ककड़ी के फायदे और महत्व बताती सुंदर और सारगर्भित रचना ।
जवाब देंहटाएंऐसी कविता जिसे बालकों को सिखाया जाना चाहिए तथा वयस्कों को इसके सत्व को अपने एवं अपने परिवार के जीवन में समाहित कर लेना चाहिए। विलक्षण है यह कविता।
जवाब देंहटाएंमनमोहक ककड़ी। आनन्द दायक कविता।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !! बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंशुद्ध स्वास्थ्य विज्ञान से प्रेरित है यह रचना ककड़ी रफेज़ ,एडिबल फाइबर्स ,खाद्य रेशों से भर -पूर
जवाब देंहटाएंजुगाली करने वाला पेय है ,बाल गीत अब लिखने वाले बचे ही कहाँ हैं। आप अपनी रचनाएं बाल भारती ,प्रकाशन विभाग ,सूचना भवन ,सीजीएचएस कॉम्प्लेक्स भेजिए ,नै दिल्ली भेजिए।
veerujan.blogspot.com
नदी किनारे पालेजों में,
ककड़ी लदी हुईं बेलों पर,
ककड़ी बिकतीं हैं मेलों में,
हाट-गाँव में, फड़-ठेलों पर,
यह रोगों को दूर भगाती,
यह मौसम का फल है अनुपम।
ककड़ी मोह रही सबका मन।।
बहुत सुंदर रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल गीत.....
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