भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार।। -- पढ़ने-लिखने का सदा, मन में रहा जुनून। भारत को तुमने दिया, उपयोगी कानून।। -- निर्धनता को देखकर, कभी न मानी हार। जीवनभर करते रहे, दलितों का उद्धार।। -- करते माया के लिए, राजनीति का काम। तुमको करते कापुरुष, दुनिया में बदनाम।। -- न्यायालय में न्याय हो, सबके लिए समान। भेद-भाव जिसमें नहीं, ऐसा रचा विधान।। -- |
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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021
दोहे "भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
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अनुपम दोहे...
जवाब देंहटाएंगहरा कटाक्ष..
साधुवाद आदरणीय 🙏
निर्बल-शोषित वर्ग पर, किया बहुत उपकार।
जवाब देंहटाएंभीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार।।
सार्थक प्रासंगिक दोहावली उस महापुरुष को समर्पित जिसे आजकी राजनीति का धंधेबाज़ अपना कहने की होड़ में मुब्तिला है जिसने खुलकर कहा गैर -बराबरी का सेकुलर वाद है यहां जहां मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण है मस्जिद गिरजों को आज़ादी है जो मंदिर से प्राप्त चढ़ावे पर ही ज़बरी धर्म परिवर्तन का धंधा कर रहे हैं।
veerusa.blogspot.com
https://www.blogger.com/blog/posts/8520284764383323856
जवाब देंहटाएंनिर्बल-शोषित वर्ग पर, किया बहुत उपकार।
भीम राव अम्बेदकर, नमन तुम्हें शत् बार।।
सार्थक प्रासंगिक दोहावली उस महापुरुष को समर्पित जिसे आजकी राजनीति का धंधेबाज़ अपना कहने की होड़ में मुब्तिला है जिसने खुलकर कहा गैर -बराबरी का सेकुलर वाद है यहां जहां मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण है मस्जिद गिरजों को आज़ादी है जो मंदिर से प्राप्त चढ़ावे पर ही ज़बरी धर्म परिवर्तन का धंधा कर रहे हैं।
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सत्य के परिचायक, बहुत सुंदर दोहे ।
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