हमारे मुल्क में गन्दी तिजारत फल नही सकती। जो दहशतगर्द हैं उनकी यहाँ पर चल नही सकती।।
अहिंसा का चमन सींचा है बापू ने सखावत से, यहाँ सौदागरों की दाल अब तो गल नही सकती।
वफादारी की धारा खून में बहती हमारे है, जफाएँ मूँग सीनो पर हमारे दल नही सकती।
धर्म-निरपेक्ष भारत में सभी रहते मुहब्बत से, फरेबी और फितरत इस वतन में पल नही सकती।
तिरंगा जान हैं अपनी, तिरंगा शान है अपनी, हमारे दिल में नफरत की मशालें जल नही सकती।
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शनिवार, 5 सितंबर 2009
‘‘नफरत की मशालें जल नही सकती’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सही सुंदर भाव लिए एक राष्ट्रीय कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत खुब, देश प्रेम से लवरेज लाजवाब कविता। बधाई .......
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम के भाव मे बहा दिया बहुत खूब्सूरत रचना है बधाई
जवाब देंहटाएंदेश भक्ति से लबरेज़ लाजवाब ग़ज़ल..हर शेर बेहतरीन...वाह
जवाब देंहटाएंनीरज
"तिरंगा जान हैं अपनी, तिरंगा शान है अपनी,
जवाब देंहटाएंहमारे दिल में नफरत की मशालें जल नही सकती।"
बहुत ही सुन्दर रचना |
सुन्दर भाव लिखे थे आपने, मगर अफ़सोस कि यहाँ हो एकदम उलटा रहा है !
जवाब देंहटाएंआपको नमन
जवाब देंहटाएंआपको नमन
जवाब देंहटाएंबहुत ओजस्वी रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हमारे मुल्क में गन्दी तिजारत फल नही सकती।
जवाब देंहटाएंजो दहशतगर्द हैं उनकी यहाँ पर चल नही सकती।।
waaqai mein nahin chal sakti...... na hi hum chalne denge.....
deshbhakti se paripoorna ek shresth rachna.....
बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता देश प्रेम मै ओत परोत.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
देशभक्ति पर आपने बेहद ख़ूबसूरत रचना लिखा है! बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंतिरंगा जान हैं अपनी, तिरंगा शान है अपनी,
जवाब देंहटाएंहमारे दिल में नफरत की मशालें जल नही सकती।
--नमन इन भावनाओं से ओत प्रोत इस रचना के लिए.
DESH BHAKTI SE PARIPOORNA KAVITA...SUBHKAMNAYEN.,.>< ....1971 KI AAPKI RACHANA..."KARVA BAHUT KARELA HOTA par kitne gun ka swami hain.....ko blog par dene ki kripa karen.
जवाब देंहटाएंHello I think you're wrong. I'm sure. I can prove it.
जवाब देंहटाएंHi Consent to all of you!
जवाब देंहटाएं