प्रेय को मन से हटाओ, श्रेय की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। अल्पना को रंग की होती जरूरत, कल्पना को ढंग की होती जरूरत, स्वप्न कोरे मत दिखाओ, गेह की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। प्यार ही तो जिन्दगी का सार है, प्रीत के बल पर टिका संसार है, बादलों को गुनगुनाओ, मेह की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। रूप है इक धूप, ढल ही जायेगी, स्वर्ण-काया खाक में मिल जायेगी, कामनाएँ मत बढ़ाओ, ध्येय की बातें करो। देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।। |
---|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 23 सितंबर 2009
‘‘नेह की बातें करो’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
अद्भूत रचना! हर एक पंक्तियाँ ज़िन्दगी की सच्चाई कहती है और आपने बहुत ही सुंदर ढंग से शब्दों में पिरोया है!
जवाब देंहटाएंरूप है इक धूप, ढल ही जायेगी,
जवाब देंहटाएंस्वर्ण-काया खाक में मिल जायेगी,
कामनाएँ मत बढ़ाओ, ध्येय की बातें करो।
देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
मयंक जी बहुत सुन्दर और सश्क्त रचना है बधाई
wakai mein swarn kaaya ek din khaak mein mil jaayegi...lekin phir bhi akal nahi aati insaan ko...ahankaar mein jiye jaa raha hai...
जवाब देंहटाएंachhi rachna shastri ji...
बहुत बढ़िया कविता..बधाई..
जवाब देंहटाएंदो लाइन हम ने भी बढ़ा दिया..देखिएगा..
स्वार्थ को तज,प्रेम रस की बात करो,
आत्मीय प्रेम पर मत आघात करो,
दोस्तों से स्नेह की बातें करो।
देह छोड़ नेह की बातें करो।
एक और सुन्दर रचना शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंप्रेय को मन से हटाओ, श्रेय की बातें करो।
जवाब देंहटाएंदेह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
यही तो मेरे मन में भी था लेकिन मुझे आप जैसा सुन्दर लिखना नहीं आता . आपने सही लिखा है और अगर बुद्धजीवी लोग है तो इसे अपनाए और हमारा देश खुशहाल बनाए !
पंकज मिश्र
बहुत बढ़िया कविता..बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार
जवाब देंहटाएंरूप है इक धूप, ढल ही जायेगी,
जवाब देंहटाएंस्वर्ण-काया खाक में मिल जायेगी,
कामनाएँ मत बढ़ाओ, ध्येय की बातें करो।
देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
bahut bhi gahan abhivyakti .........ek sashakt rachna hai......adhayi.
बेहतरीन रचना, शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंek ek shabd bol rahen hain ismein..........
जवाब देंहटाएंneh ki baat karo.........
gr8........
अब क्या कहूं! जो कहना चाहती थी, सबने कह दिया.विलम्ब के लिये क्षमा प्रार्थी हूं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
नेह की बात हो ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ..!!
bahut hi sundar aur sacchi rachna....
जवाब देंहटाएंप्यार ही तो जिन्दगी का सार है,
प्रीत के बल पर टिका संसार है,
बादलों को गुनगुनाओ, मेह की बातें करो।
देह के मत गीत गाओ, नेह की बातें करो।।
Tooo Gr8888....!Pranaam sweekaare...!